भारत के प्रस्ताव को क्वाड की सहमति (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: 4 देशों के संगठन क्वाड के 3 सदस्य देशों रुख से सहमति जताई है कि पहलगाम आतंकी हमले के जिम्मेदारों को पूरी तरह दंडित किया जाना चाहिए। अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में हुई क्वाड की बैठक में विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत अन्य 3 सदस्यों से उम्मीद करता है कि आतंकवाद के कलंक के खिलाफ उसके इस रुख का साथ दें कि आतंकवाद सभी के लिए समान रूप से खतरा है। सभी सदस्य देशों ने इस पर समर्थन व्यक्त किया। यद्यपि भारत ने इसे अपनी कूटनीतिक विजय के रूप में प्रचारित नहीं किया लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा निश्चयात्मक कदम है।
आतंक को अपनी राजनीति का हिस्सा बनाने वालों को यह सख्त चेतावनी है। क्वाड की आतंक के खिलाफ सहमति एक महत्वपूर्ण कदम है। यह ऐसे मौके पर उठाया गया है, जब पाकिस्तान को एक महीने के लिए रटिशन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता मिली है। आश्चर्य इस बात का है कि आतंकवाद को अपनी राजनीति का अंग बनाने और बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान को विश्वशांति के लिए प्रतिबद्ध सुरक्षा परिषद की अगुआई सौंपे जाने पर किसी देश ने आपत्ति नहीं उठाई। ऐसे आतंकवाद के प्रवर्तक देश का तो सर्वत्र बहिष्कार किया जाना चाहिए।
भारत ने आतंकवादी हमलों में पाकिस्तान की लिप्तता के ढेरों सबूत पेश किए, लेकिन अमेरिका उनकी अनदेखी करता रहा। इतना ही नहीं, वहां के राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में भोज दिया। न जाने किस मुंह से अमेरिका अब भी आतंकवाद से लड़ाई में पाकिस्तान को अपना प्रमुख सहयोगी बताता है। क्या ट्रंप भूल गए कि न्यूयार्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 का आतंकी हमला करने वाले ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने एबोटाबाद सैनिक छावनी के पास शरण दे रखी थी? जाहिर है अमेरिका दोहरी नीति अपना रहा है।
चीन से हाथ मिलाने वाले पाकिस्तान को अमेरिका कैसे भरोसेमंद मानता है? भारत ने क्वाड में आतंक के खिलाफ सहमति हासिल कर ली, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। अन्य अंतरराष्ट्रीय फोरम पर तथा अन्य देशों के सामने वह पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों का भंडाफोड़ करने में सक्रिय है। प्रधानमंत्री मोदी और विदेशमंत्री जयशंकर के प्रयास जारी हैं। भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पाकिस्तान की किसी जारी हैं। भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पाकिस्तान की किसी भी आतंकी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने में वह जरा भी आगे-पीछे नहीं सोचेगा। पश्चिमी देशों का सीख देनेवाला रवैया नहीं चलेगा कि दोनों परमाणुशक्ति संपन्न देश हैं, इसलिए भारत को हमेशा संयम रखना चाहिए।