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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की संभावना, विधानसभा चुनाव में PM नरेंद्र मोदी पर दारोमदार

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने यह कहकर चौंका दिया कि विधानसभा चुनाव के पूर्व महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की संभावना है। चव्हाण एक संयमी नेता हैं और सनसनी फैलाना उनके स्वभाव में नहीं है। इसलिए उनके बयान के पीछे जरूर कोई आधार होगा।

  • By किर्तेश ढोबले
Updated On: Sep 03, 2024 | 10:58 AM

(डिजाइन फोटो)

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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने यह कहकर चौंका दिया कि विधानसभा चुनाव के पूर्व महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की संभावना है। चव्हाण एक संयमी नेता हैं और सनसनी फैलाना उनके स्वभाव में नहीं है। इसलिए उनके बयान के पीछे जरूर कोई आधार होगा। महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति अत्यंत अस्थिर है। सत्ताधारी महायुति में पर्याप्त समन्वय नहीं है।

बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) बार-बार अजीत पवार की पार्टी की आलोचना करती हैं। इन पार्टियों के नेताओं का सुर कुछ ऐसा रहता है कि अजीत पवार को साथ लेकर हमने बड़ी गलती की। इस पर नाराज होते हुए अजीत पवार ने शिंदे शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं से कहा कि वह अपने नेताओं को समझाएं अन्यथा हमारी पार्टी के कार्यकर्ता आक्रामक हो उठे तो उन्हें संभालना कठिन जाएगा। विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर महायुति की तीनों पार्टियों में विवाद होने की आशंका है। चर्चा है कि अजीत पवार को सिर्फ 60 सीटें दी जाएंगी। ऐसा नहीं लगता कि अजीत की पार्टी के नेता-कार्यकर्ता इस दुय्यम स्थान को स्वीकार करेंगे।

विपक्ष का आक्रामक रुख

‘लाड़की बहीण’ योजना की शुरूआत जोर-शोर से हुई तब वातावरण अनुकूल था लेकिन बदलापुर की घटना के बाद से विपक्ष आक्रामक हो गया। इसके बाद मालवण में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढह गई। इस पर तत्काल माफी मांगने की बजाय इसके पीछे प्राकृतिक कारण होने की दलील दी गई। शिक्षा मंत्री केसरकर ने तो यह भी कह दिया कि महाराज ने यह संदेश इसलिए दिया है ताकि उनकी अधिक भव्य प्रतिमा बनाई जाए। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने आकर माफी मांगी लेकिन तब तक काफी विलंब हो गयाथा। विपक्ष के आक्रामक रुख से राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बन गया। इससे सरकार बैकफुट पर आ गई।

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‘लाडकी बहीण’ योजना से जो अनुकूल स्थिति बनी थी उस पर पानी फिर गया। ऐसी स्थिति में यदि सरकार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया गया तो लोगों का रोष कम होगा। समय के साथ मुद्दे ठंडे हो जाएंगे। यदि राष्ट्रपति शासन लगा तो बीजेपी के हाथों में सत्ता सूत्र आ जाएंगे और उसे ही चुनावी लाभ होगा। ऐसी स्थिति में शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार के पास कोई अधिकार नहीं रह जाएंगे। इसे देखते हुए अजीत व शिंदे राष्ट्रपति शासन लागू करने के किसी भी कदम का तीव्र विरोध करेंगे। दोनों ही सहयोगी पार्टियों पर बीजेपी का दबाव बढ़ना निश्चित है।

छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के बाद अजीत पवार ने सबसे पहले माफी मांग कर एकनाथ शिंदे के खिलाफ मोर्चा खोला था। तब शिंदे सहित महायुति के नेताओं को इस घटना की गंभीरता ध्यान में नहीं आई थी। शिंदे व फडणवीस ने इसके लिए नौसेना और तेज हवा को दोष दिया था। जब बीजेपी के केंद्रीय नेताओं ने उन्हें चेताया तब इन नेताओं को जनता से माफी मांगने की सूझी। स्थिति की गंभीरता देखते हुए प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र आकर माफी मांगी ताकि विधानसभा चुनाव में पार्टी को खामियाजा न उठाना पड़े।

महायुति में आंतरिक विवाद

महायुति का आंतरिक विवाद कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। नागपुर में स्मृति मंदिर में आरएसएस के संस्थापक डा। केशव बलिराम हेडगेवार की प्रतिमा का अभिवादन करने मुख्यमंत्री शिंदे और देवेंद्र फडणवीस गए लेकिन अजीत पवार ने वहां जाना टाल दिया। संभवत: अपनी पार्टी को सिक्यूलर दिखाने की उनकी चाह रही होगी। विधानसभा चुनाव निकट है। एकनाथ शिंदे फिर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।

यह भी पढ़ें:-आतंकियों के बढ़ते साये में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की चुनौती

अजीत पवार कितने ही वर्षों से महाराष्ट्र का सीएम बनने का स्वप्न देख रहे हैं। देवेंद्र फडणवीस पुन: मुख्यमंत्री की कुर्सी पाना चाहते हैं। ऐसे में महायुति की तीनों पार्टियों के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में लगे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी को महाराष्ट्र के चुनाव में महायुति के तारणहार की महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इतने पर भी लोकसभा चुनाव ने साबित कर दिया था कि सिर्फ मोदी का चेहरा देखकर लोग वोट नहीं देते।

Prithviraj chavan claim presidents rule will be imposed before assembly elections

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Published On: Sep 03, 2024 | 10:57 AM

Topics:  

  • Maharashtra Assembly Elections
  • Narendra Modi

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