ड्रीमलाइनर विमान हादसा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गत 12 जून को हुए बोइंग ड्रीमलाइनर विमान हादसे को लेकर एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो ने जो प्राथमिक जांच रिपोर्ट पेश की है उसके निष्कर्ष किसी के गले उतरनेवाले नहीं हैं। सरकार को भी इस पर विश्वास नहीं है। विमानन मंत्री और राज्यमंत्री ने भी इस रिपोर्ट को प्राथमिक बताकर बात टालने की कोशिश की है। यह प्राथमिक रिपोर्ट आने में भी एक महीना लग गया। उड्डयन क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भी रिपोर्ट पर शंका व्यक्त की है। कहीं इसके पीछे बोइंग कंपनी को बचाने का प्रयास तो नहीं है! इससे दुर्घटना का रहस्य सामने आने की बजाय और भी जटिल हो गया है।
इस भीषण हादसे में जान गंवानेवालों में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, उद्योगपति, व्यवसायी तथा इंग्लैंड में अपने परिजनों से मिलने जानेवाले यात्रियों का समावेश था। विमान में सवार 242 लोगों में से केवल 1 ही चमत्कारिक रूप से बचा। विमान ऊंचाई पर जाने की बजाय नीचे आने लगा और एयरपोर्ट से लगी हुई मेडिकल कालेज की इमारत से टकराया जिसमें लंच कर रहे छात्र तथा कर्मचारी मिलाकर 29 लोग मारे गए। विमान दुर्घटना में विमान आग का गोला बन गया था। कोयला बन चुके शवों की डीएनए जांच से पहचान हो पाई। पहले बताया गया कि विमान के मलबे से मिला ब्लैक बाक्स अमेरिका भेजा जाएगा फिर इससे इनकार किया गया। प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया कि ड्रीमलाइनर विमान के उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद ही दोनों इंजन बंद हो गए।
किसी भी पायलट ने बंद करने की बात नहीं स्वीकारी। कोई विमान का ईंधन स्विच ‘रन’ की पोजीशन से ‘कट ऑफ’ क्यों करेगा? यदि किसी पायलट को आत्महत्या करनी होती तो अकेले करता। इतने यात्रियों को लेकर कदापि नहीं करता। अनुभवी पायलटों पर दोष मढ़ना बेमतलब है। ईंधन पूर्ति रुकने पर रैम एयर टबाईन शुरू हुआ जो आपातकालीन ऊर्जा की पूर्ति करता है। इसके बाद 10 सेकंड में इंजन क्रमांक 1 का ईंधन नियंत्रण स्विच पुन: रन की स्थिति में आया। दूसरा इंजन शुरू नहीं हुआ तब पायलट ने मेडे-मेडे का आपात संदेश दिया। विशेषज्ञों की राय है कि एक पायलट दूसरे को बताने के बाद ही ईंधन नियंत्रण स्विच कट आफ करता है। दुर्घटना के समय कोई साफ्टवेयर बिगड़ा था क्या, इस लिहाज से भी जांच करना जरूरी था।
एक सेकंड के अंतर से दोनों इंजन के रन से कट आफ होने के लिए कौन जिम्मेदार था? इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए। यह एयर इंडिया, अंतरराष्ट्रीय विमानन एजेंसियों व सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि हादसे के जिम्मेदार का पता लगाएं। विमान को ऐसी हालत में किसने पहुंचाया कि उसे संभाल पाना संभव नहीं था। बगैर हस्ताक्षर की गई यह प्राथमिक रिपोर्ट विश्वसनीय प्रतीत नहीं होती। जांच में किसी सक्रिय एयरलाइन पायलट को शामिल नहीं किया गया। उल्लेखनीय है कि 7 वर्ष पूर्व अमेरिका के उड्डयन नियंत्रक ने पाया था कि बोइंग 737 में ईंधन नियंत्रण स्विच के लॉकिंग फीचर में गड़बड़ी थी। ऐसे ही स्विच ड्रीमलाइनर में भी इस्तेमाल किए जाते हैं।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा