विदेश मंत्री एस जयशंकर, वांग यी (फोटो- सोशल मीडिया)
बीजिंग: भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने चीन के साथ संबंधों को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ हुई बैठक में उन्होंने कहा कि पिछले नौ महीनों में द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में अच्छी प्रगति हुई है। अब भारत और चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
बैठक की शुरुआत में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के रिश्ते तभी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ सकते हैं, जब मतभेदों को विवाद का रूप न दिया जाए और प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में न बदला जाए। विदेश मंत्री की यह चीन यात्रा कई मायनों में अहम मानी जा रही है, क्योंकि यह पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष के बाद उनकी पहली चीन यात्रा है। इस संघर्ष के दौरान चीन पर पर्दे के पीछे से पाकिस्तान की मदद करने के आरोप लगे थे।
विदेश मंत्री जयशंकर ने व्यापार में ‘प्रतिबंधात्मक कदमों’ और ‘बाधाओं’ से बचने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए अप्रत्यक्ष रूप से चीन द्वारा महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों की ओर इशारा किया। यह टिप्पणी उनकी चीन यात्रा के दौरान आई, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे। चीन पहुंचने के कुछ ही घंटों बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच यह महत्वपूर्ण वार्ता हुई।
Held detailed talks with Politburo Member and FM Wang Yi in Beijing this evening.
Spoke about the need for a far-seeing approach to bilateral ties and building a stable & constructive relationship.
Incumbent on us to address aspects related to the border, normalizing… pic.twitter.com/8zBRBoaKQE
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 14, 2025
एस जयशंकर ने कहा, “भारत-चीन संबंधों को लेकर दूरदर्शी सोच और सक्रिय पहल की आवश्यकता है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि, “अक्टूबर 2024 में कज़ान में दोनों देशों के नेताओं की मुलाक़ात के बाद से द्विपक्षीय संबंध धीरे-धीरे सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। अब हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इस गति को बनाए रखें।”
उन्होंने आगे कहा कि, पिछले नौ महीनों में सीमा पर तनाव कम करने और शांति बनाए रखने की दिशा में काफी प्रगति हुई है, जो दोनों देशों की इस दिशा में कार्य करने की क्षमता को दर्शाता है। जयशंकर ने यह भी कहा, “यह पारस्परिक रणनीतिक विश्वास और द्विपक्षीय संबंधों के सुचारू विकास की नींव है। अब वक्त है कि हम तनाव घटाने के साथ-साथ सीमा से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी गंभीरता से ध्यान दें।”
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विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-चीन के स्थिर और रचनात्मक संबंध न केवल दोनों देशों बल्कि वैश्विक हित में भी हैं। उन्होंने ज़ोर दिया कि ये संबंध आपसी सम्मान, साझा हितों और संवेदनशीलताओं के आधार पर आधारित होने चाहिए। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि दोनों देश सहमत हैं कि मतभेदों को विवाद में और प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए। ऐसी समझ से ही द्विपक्षीय संबंधों को सकारात्मक दिशा मिल सकती है।