प्रशांत किशोर (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: यद्यपि माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में प्रमुख रूप से एनडीए और इंडिया गठबंधनों के बीच मुकाबला होगा लेकिन त्रिभुज के तीसरे कोण के समान प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी उल्लेखनीय भूमिका निभा सकती है।प्रशांत किशोर (पीके) पेशेवर चुनावी रणनीतिकार के रूप में विभिन्न पार्टियों को अपनी सेवाएं देते रहे हैं लेकिन अब वह अपनी पार्टी बनाकर खुद चुनाव मैदान में हैं।उन्होंने राहुल गांधी व बीजेपी दोनों के चुनावी मुद्दों को ठुकराते हुए कहा कि चुनाव अभियान बिहार की ज्वलंत समस्याओं पर केंद्रित होना चाहिए न कि वोट चोरी और घुसपैठिए जैसे मुद्दों पर!
पीके ने कहा कि कोई भी रोजगार के लिए बिहार से होनेवाले युवाओं के पलायन, राज्य में व्याप्त भारी बेरोजगारी और शिक्षा की स्थिति की चर्चा नहीं कर रहा है।उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मजबूत सरकार है और अमित शाह जैसे कुशल गृहमंत्री हैं तो देश की सीमाएं सुरक्षित रहनी चाहिए।ऐसे में घुसपैठिए कैसे किशनगंज, अररिया या अन्य ठिकानों में आ सकते हैं? यदि अमित शाह घुसपैठ रोक पाने में अपनी विफलता स्वीकार करते हैं तो फिर हम इस मुद्दे पर बात करेंगे।प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी पर निशाना लगाते हुए कहा कि उन्होंने 10 दिनों में बिहार के कुछ जिलों की यात्रा में क्या हासिल किया? वोट चोरी का आरोप लगाने का कितना असर पड़ा? इसकी बजाय उन्हें संसद का घेराव करना या दिल्ली में चुनाव आयोग के कार्यालय के सामने धरने पर बैठना चाहिए था।
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राष्ट्रीय जनता दल की बखिया उधेड़ते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वह समाजवाद के रास्ते से भटक गया है।15 वर्ष के राजद शासन और 20 वर्ष की नीतीश कुमार सरकार के बाद भी बिहार आज तक पिछड़ा राज्य बना हुआ है।ये लोग गरीबों, दलितों-पीड़ितों के कल्याण की बात किस मुंह से करते हैं? इन लोगों ने सत्ता पाने के बाद सामंतवादी रवैया अपना लिया।जनसुराज पार्टी बनाने के पूर्व 3 वर्षों तक बिहार का व्यापक दौरा कर चुके प्रशांत किशोर ने कहा कि राज्य की जनता बदलाव चाहती है।वह नीतीश कुमार की सरकार को हमेशा के लिए अलविदा करने के पक्ष में है।उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर या मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की आलोचना की और कहा कि ऐन विधानसभा चुनाव के पहले यह नहीं किया जाना चाहिए था।चुनाव आयोग को किसी की नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं है।हमारा लोकतंत्र कमजोर नहीं है।कोई भी अपना मताधिकार नहीं खोएगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता दर्ज कराने के लिए आधार कार्ड को दस्तावेज के रूप में मंजूरी दी है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा