आज का निशानेबाज (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, देश में वोट चोरी का मुद्दा गूंज रहा है लेकिन मध्यप्रदेश के रीवा जिले में 25 लाख रुपए की लागत से बना तालाब चोरी हो गया। है न विचित्र बात!’ हमने कहा, ‘अपने देश में भूमाफिया ने कितने ही तालाब चुराकर उन्हें मिट्टी-पत्थर का मलबा डालकर पाट दिया और फिर वहां फ्लैट स्कीम बना डाली। लोग अवाक देखते रह गए। अतिक्रमण का अजगर सबकुछ निगल जाता है।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, रीवा का मामला कुछ अलग है।
वहां के कठौली ग्राम में अमृत सरोवर योजना के तहत तालाब का निर्माण किया जाना था। फिर क्या था, कागजों पर तालाब खुद गया। रिकॉर्ड में बताया गया कि 9 अगस्त 2023 को तालाब का काम पूरा कर लिया गया। ग्रामीणों ने जाकर देखा तो तालाब का नामोनिशान नहीं था। उन्होंने पुलिस में तालाब चोरी की रिपोर्ट लिखवाई और उसे ढूंढनेवाले को इनाम देने का ऐलान कर दिया।’ हमने कहा, ‘सरकारी दस्तावेजों पर शक करना अच्छी बात नहीं है। जब तालाब का स्पॉट वेरिफिकेशन हुआ होगा, सरकारी खजाने से रकम सैंक्शन हुई होगी और काम समाधानकारक होने की रिपोर्ट सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होगी तो फिर तालाब के अस्तित्व से कैसे इनकार किया जा सकता है। तालाब के पास सिक्योरिटी गार्ड तैनात करते तो चोरी नहीं जाता। तालाब लावारिस नजर आया तो कोई उठा ले गया होगा।’
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पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आप बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं। तालाब कभी बना ही नहीं। ग्राम पंचायत के बेईमान सरपंच ने सरकारी नाले पर छोटा बांध बनाकर पानी अपनी ही निजी जमीन में रोक लिया और उसे तालाब बताकर अमृत सरोवर योजना के फंड से 24.94 लाख रुपए निकलवा लिए। लोगों ने मिल-बांट कर पैसे खा लिए होंगे। ग्रामीणों ने इस घोटाले की शिकायत प्रशासन ही नहीं, मुख्यमंत्री मोहन यादव तक पहुंचाई लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला। सरकारी योजनाओं का बंटाढार कर इस तरह भ्रष्टाचार किया जाता है।’ हमने कहा, योजनाएं इसीलिए बनती हैं ताकि उनके नाम पर धांधली और घोटाले को अंजाम दिया जाए। कुछ राज्य इसी वजह से पिछड़े हैं जहां लोहे का पुल और बिजली के तार काटकर बेच दिए जाते हैं। ग्रामीण लाचार हैं जबकि अधिकारी और नेता मालामाल हैं।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा