
(डिजाइन फोटो)
Strategic Partnership India-Russia: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, हिंदी में कहावत है- पूत सपूत तो क्या धन प संचय, पूत कपूत तो क्या धन संचस। इसका अर्थ है कि यदि बेटा सपूत है तो अपनी योग्यता व कर्मठता से खुद ही पैसा कमा लेगा। उसके लिए धन क्यों बचाकर रखना? इसके विपरीत यदि बेटा कपूत है। व्यसन और बुरी आदतों से घिरा है तो ऐसे बेटे के लिए भी क्यों पैसा जोड़कर रखना ? वह धन को फिजूलखर्ची और अय्याशी में उड़ा डालेगा।’
हमने कहा, ‘आप यह पूत-सपूत वाली कहावत क्यों सुना रहे हैं? कहावत तो यह भी है कि पूत के पांव पालने में नजर आते हैं। मतलब यह कि होनहार बच्चे की पहचान बचपन में ही हो जाती है। अभी आप पूत की बजाय पुतिन पर चर्चा कीजिए जो भारत आए हुए हैं। उन्हें रिसीव करने खुद प्रधानमंत्री मोदी पालम एयरपोर्ट गए और उनसे गले मिले। दोनों नेताओं में प्रेम, आत्मीयता और गहरा आपसी विश्वास है। रूस और भारत की बड़ी पुरानी दोस्ती हैं जो समय की कसौटी पर खरी उतरी है।
पं. जवाहरलाल नेहरू तो 1929 में पहली बार रूस गए थे और तभी से वहां की प्रगति से प्रभावित हुए थे। वहां की 7 वर्षीय विकास योजना उन्हें अच्छी लगी थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद नेहरू ने भारत में उसी पैटर्न पर पंचवर्षीय योजना लागू की थी। नेहरू ने अपनी बहन विजयालक्ष्मी पंडित को राजदूत बनाकर मास्को भेजा था। इंदिरा गांधी ने रूस के साथ 20 वर्ष की मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
यह भी पढ़ें:- संपादकीय: विपक्ष बनाम सरकार, संसद में गतिरोध का आखिर हल क्या है?
भारतीय वायुसेना में बड़ी संख्या में रूस निर्मित मिग और सुखोई विमान रहे हैं। ब्रम्होस मिसाइल भी भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। रूस के विमानवाही पोत एडमिरल गोर्शकोव को नया रूप देकर भारत के लिए विक्रांत-2 बनाया गया। भारत के आकाश को दुश्मन से सुरक्षित रखने के लिए एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 भी रूस से हासिल किया गया है।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, रूस में पुतिन हैं तो भारत में भी ऐसे ही मिलते-जुलते नाम मिलेंगे। यूपी में बच्चे को प्यार से पुतुआ या पुत्तन कहते हैं। पंजाब में बेटे को पुत्तर कहा जाता है। अमेरिकी टैरिफ के दबाव का मुकाबला मोदी-पुतिन मिल कर करेंगे और मुक्त व्यापार समझौता करेंगे।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा






