भारत का दोस्त तालिबान,जल भुन गया पाकिस्तान (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, अफगानिस्तान से भारत का रिश्ता सदियों पुराना है।गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी ‘काबुलीवाला’ पर इसी नाम की फिल्म बनी थी जिसमें बलराज साहनी ने उस पात्र का अभिनय किया था जो काबुल से आकर कोलकाता में घूम-घूम कर मेवा बेचा करता था।मिनी नामक बच्ची को देखकर उसे काबुल में अपनी उसी उम्र की बेटी की याद आती थी।उसे किसी मामले में जेल की लंबी सजा हो गई।रिहा होने के बाद जब वह फिर से मेवा बेचने निकला तो मिनी की शादी हो रही थी।अब काबुलीवाला को समझ में आया कि उसकी बेटी भी इतनी बड़ी हो गई होगी।वह भावुक हो उठता है।
इस फिल्म का मार्मिक गीत है- ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछुड़े चमन तुझपे दिल कुरबान! जब पाकिस्तान नहीं बना था तो अविभाजित भारत और अफगानिस्तान की सीमा एक दूसरे से लगी हुई थी।नेताजी सुभाषचंद्र बोस भी अंग्रेजों को चकमा देकर काबुल के व्यापारी उत्तमचंद के सहयोग से जर्मनी पहुंचे थे.’ हमने कहा, ‘महाभारत काल में जो गांधार था वही अब कंधार कहलाता है।वहां की राजकुमारी गांधारी का धृतराष्ट्र से विवाह हुआ था।तालिबान को इस भारत-अफगान रिश्तेदारी की ऐतिहासिक जानकारी बताई जानी चाहिए.’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, तालिबानी विदेशमंत्री मुत्ताकी जब भारत आए तो पाकिस्तान बुरी तरह जल-भुन गया।उसी समय उसने अफगानिस्तान के इलाके पर बमबारी की।जवाब में तालिबान ने भी पाकिस्तानी सेना पर करारा हमला किया और उसकी 20 चौकियां छीन लीं।भारत और तालिबान ने मिलकर पहलगाम में हुए पाकिस्तानी आतंकी हमले की कड़ी निंदा की।इससे पाकिस्तान इतना जल भुन गया कि उसने इस्लामाबाद में अफगानी राजदूत को बुलाकर अप्रसन्नता जताई।
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पाकिस्तान को मालूम है कि जिस तालिबान ने अमेरिकी फौज को अपनी जमीन से भागने पर मजबूर कर दिया वह कितना ताकतवर है।भारत-तालिबान दोस्ती उसे कांटे की तरह चुभ रही है।हम तो पाक से यही कहेंगे- तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं! यदि नवजोत सिंह सिद्धू से तालिबान के साथ मित्रता के बारे में पूछा जाए तो वह हमेशा की तरह कहेगा- गुरू, ताली दोनों हाथ से बजती है।अगर भारत और तालिबान दोनों ने ताली बजाई तो पाकिस्तानी मच्छर मसल कर रह जाएगा।इस बात पर ठोको ताली!’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा