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न्याय की देवी का नया रूप, हटा दी गई आंख की पट्टी, तलवार की जगह संविधान

ब्रिटिश शासन काल से चली आ रही न्याय की देवी की प्रतिमा में तर्कसंगत सुधार कर सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में स्थापित किया गया है। नई प्रतिमा की आंखों की पट्टी और हाथ में पकड़ी तलवार हटा कर संविधान दे दिया गया है।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Oct 21, 2024 | 03:05 PM

(डिजाइन फोटो)

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ब्रिटिश शासन काल से चली आ रही न्याय की देवी की प्रतिमा में तर्कसंगत सुधार कर सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में स्थापित किया गया है। नई प्रतिमा पहले के समान इंसाफ का तराजू हाथ में लिए हुए है लेकिन उसकी आंखों की पट्टी और हाथ में पकड़ी तलवार हटा कर संविधान दे दिया गया है। भारतीय न्याय का यह नया प्रतीक बेहतर और उद्देश्यपूर्ण है।

अब न्याय की देवी आंखें खुली रखकर वास्तविकता को देख-परख कर फैसला सुना सकती है। इसके अलावा वह तलवार से आतंकित करने की बजाय संविधान के ढांचे और भावना के अनुरूप अपना दायित्व निभाती है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटाने का अर्थ है कि न्याय कभी अंधा था ही नहीं। अब इस प्रतिमा के प्रतीक सार्थकतापूर्ण हो उठे हैं।

इस नई प्रतिमा का भारतीय न्याय व्यवस्था पर आनेवाले वर्षों में रचनात्मक असर पड़ेगा। स्वतंत्र भारत में औपनिवेशिक दमन नीति की प्रतीक तलवार की तनिक भी आवश्यकता नहीं थी। अंधे न्याय के उस पुराने प्रतीक ने कितने ही देशभक्तों और स्वाधीनता सेनानियों को जेल, कालापानी भेजा या फांसी के फंदे से लटकाया।

यह भी पढ़ें- महायुति ने एकजुटता दिखाई, रिपोर्ट कार्ड के जरिए कर्मठता का दावा

कानून चाहे जिस देश का हो, हमेशा गतिशील और समय की आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए। वह एक ऐसी जलधारा के समान होना चाहिए जो एक जगह न रुकते हुए धरातल के अनुरूप अपना मार्ग बनाती चलती है। मूल कानून या बेसिक लॉ भले ही वैसा बना रहे लेकिन परिवर्तित परिस्थितियों के अनुसार न्यायशास्त्र (ज्यूरिसप्रूडेंस) के संदर्भ में उसकी व्याख्या बदलती रहती है।

यही वजह है कि अधिकांश ब्रिटिशकालीन पुराने कानून रद्द या संशोधित कर दिए गए। आईपीसी और सीआरपीसी जैसे 150 वर्ष पुराने कानूनों की जगह भारतीय न्याय संहिता व अन्य नए कानूनों ने ले ली। समय के मुताबिक साइबर लॉ की रचना हुई। न्याय का अर्थ लंबी मुकदमेबाजी कदापि नहीं है जिसमें कानूनी दांवपेंच चलते रहें, पेशी पर पेश हो तथा धन की बर्बादी के बाद भी कुछ हासिल न हो।

न्याय होता हुआ दिखाई देना चाहिए। न्याय की देवी की नई प्रतिमा का परिधान भी परंपरागत रूप से भारतीय है। यह न्याय की अवधारणा में उल्लेखनीय बदलाव और भारतीय मूल्यों से जुड़ाव को दर्शाता है। न्याय की देवी का नया अवतार भारतीय न्यायप्रणाली से सुसंगत है जो समयानुकूल बदलाव को स्वीकार करती है और न्याय को सर्वोच्चता प्रदान करती है। कानून साधन है और न्याय उसकी मंजिल। वैसे न्याय को लेकर भी कहा गया है कि विलंब से मिलनेवाले न्याय को न्याय नहीं माना जा सकता।

लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा

New look of the goddess of justice the eye patch removed constitution in place of sword

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Published On: Oct 21, 2024 | 03:05 PM

Topics:  

  • Supreme Court

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