CM के चेहरे पर NDA की चुप्पी, युवा तेजस्वी की नीतीश को चुनौती
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, क्या राजनीति को नेता की उम्र से जोड़ा जाना चाहिए? महागठबंधन की ओर से सीएम पद का चेहरा बनाए गए तेजस्वी यादव ने कहा कि मेरी उम्र 35 साल है और मेरा मुकाबला 74 साल के नीतीश कुमार से होगा या 75 साल के मोदी से?’ हमने कहा, ‘जवानी में जोश रहता है तो बुजुर्ग होने पर होश रहता है। नीतीश और प्रधानमंत्री मोदी के पास अनुभव की अमूल्य पूंजी है। कहावत है-साठा सो पाठा ! 60 साल की उम्र होने पर व्यक्ति सठिया नहीं जाता, बल्कि काफी परिपक्व हो जाता है। बुजुर्ग नेताओं के पास एक से एक दांवपेंच होते हैं। महाराष्ट्र में शरद पवार लगभग 85 वर्ष के हैं लेकिन अब भी राजनीति में सक्रियता बनाए हुए हैं।
बीजेपी के पास भी मार्गदर्शन करने के लिए 2 ग्रैंड ओल्ड लीडर 96 वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी और 90 वर्ष के डॉ. मुरलीमनोहर जोशी हैं। पुराने चावल और पुरानी शराब के समान पुराने नेता की अहमियत भी बढ़ जाती है। मोरारजी देसाई 80 वर्ष की आयु में जनता पार्टी सरकार के प्रधानमंत्री बने थे। राणा सांगा ने 80 वर्ष की उम्र में इब्राहिम लोदी से युद्ध किया था। भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य जैसे वयोवृद्ध सेनापति महाभारत युद्ध में लड़े थे इसलिए उम्र सिर्फ एक आंकड़ा है। कहते कहते हैं एज इज जस्ट ए नंबर!’
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पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, व्यर्थ की दलीलें मत दीजिए। बढ़ती उम्र का असर व्यक्ति के स्वास्थ्य और दिमाग पर पड़ता है। नीतीश कुमार भुलक्कड़ हो गए हैं और अटपटा व्यवहार करने लगे हैं। 16 वर्ष का वीर अभिमन्यु कौरवों पर भारी पड़ गया था। सेना का जवान 18 वर्ष की आयु में भर्ती होने के बाद 35 वर्ष की उम्र में रिटायर हो जाता है। क्रिकेट में भी चुस्त और चपल युवा खिलाड़ी अपना कमाल दिखाते हैं। अब जमाना शुभमन गिल का है। राजनीति में भी ऐसे ही बदलाव होते रहने चाहिए। पुराने नेता नए नेतृत्व के लिए स्थान बनाएं।’ हमने कहा, ‘राजनीति में ऐसा नहीं होता। अमेरिका में जॉन एफ केनेडी, बिल क्लिंटन व बराक ओबामा का अपवाद छोड़ दें तो बाइडेन और ट्रंप दोनों ही बुजुर्ग राष्ट्रपति की श्रेणी में आते हैं।’