आज का निशानेबाज (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, जिस जमाने में सिक्के या करेंसी नोट नहीं थे तब लोग आपस में चीजों की अदला-बदली कर लेते थे जिसे अंग्रेजी में बार्टर सिस्टम कहा जाता है। इस समय भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कर्नाटक के मंगलुरू चिड़ियाघर को एक बाघ देकर बदले में किंग कोबरा लिया है।’ हमने कहा, ‘राजनीति में अस्तीन के सांप क्या कम पड़ गए जो कर्नाटक से किंग कोबरा मंगवाना पड़ा? जब देश की जनता पक्ष और विपक्ष दोनों के नेताओं से नाराज हो जाती है तो कहती है- जैसे नागनाथ वैसे ही सांपनाथ! हमें बताइए कि क्या जनहित में किंग कोबरा मंगाना जरूरी था? क्या इसे लेकर कोई चुनावी वादा किया गया था?’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, मध्यप्रदेश देश का हृदयस्थल है। हृदय माने दिल! दिल की बातें दिल ही जाने! दिल हुआ तो अफ्रीका महाद्वीप के नमीबिया से चीते मंगवा लिए जिन्हें कूनो नेशनल पार्क में रखा गया। उद्देश्य यह था कि चीतों की आबादी बढ़े।’ हमने कहा, ‘चीते को छोड़िए। किंग कोबरा की बात कीजिए जो लंबाई में बढ़कर 15 फुट तक हो जाता है। वह नमी वाले घने जंगल में रहता है जहां काफी घास होती है या फिर बांस के झुरमुट में रहता है। गर्मा मौसम में उसे ठंडी जगह चाहिए। भारी वर्षा वाले इलाके में वह पाया जाता है।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, मुख्यमंत्री मोहन यादव की जैव विविधता व पर्यावरण संतुलन में रुचि है। इसके अलावा मध्यप्रदेश में प्रतिवर्ष सांप काटने से लगभग 200 लोगों की मौत होती है डिंडोरी जिले में सर्पदंश की समस्या सर्वाधिक है। किंग कोबरा अन्य सांपों को खा जाता है। अगर वह मौजूद रहा तो उस इलाके के अन्य सारे सांप भाग जाते हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री प्रदेश में सर्प गणना भी कराना चाहते हैं।’
हमने कहा, ‘यह भी खूब रही! इंसानों को छोड़कर सांपों की गिनती! क्या यह संभव है? कौन जाकर बिल में हाथ डालकर सांप निकालेगा और गिनेगा? सांप-बिच्छू की गिनती में कौन सा तुक है?’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, भारतीय संस्कृति में नाग का बहुत महत्व है। देवताओं और दानवों ने मंदराचल पर्वत को मथनी बनाकर वासुकी नाग के जरिए समुद्र मंथन किया था और 14 रत्न निकाले थे। भगवान विष्णु शेषनाग की शय्या पर लेटे रहते हैं। शिव के गले का हार नाग ही है। लोग नागपंचमी का त्यौहार मनाते हैं। इसलिए नाग के प्रति श्रद्धा रखिए।’