वक्फ मामले में सुको का सीमित हस्तक्षेप (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ मामले में सीमित हस्तक्षेप करते हुए उसके 3 विवादास्पद प्रावधानों पर रोक लगा दी जो कि संविधान और व्यक्तिगत अधिकारों से सुसंगत नहीं थे। नए वक्फ कानून पर आपत्ति जतानेवाली याचिका पर अंतरिम आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस बीआर गवई व जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने मुस्लिम संगठनों को काफी राहत दी। इसी के साथ वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर रोक न लगाकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया है कि विधायी मामलों में संसद सर्वोच्च है। अदालत ने कहा कि कानूनों को संवैधानिक रूप से मजबूत माना जाना चाहिए और केवल दुर्लभतम मामलों में इनमें हस्तक्षेप किया जा सकता है।
इस वर्ष अप्रैल में बना नया कानून वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाता है। इसकी इसलिए आवश्यकता थी क्योंकि उपलब्ध जानकारी के अनुसार हर 8 में से 5 वक्फ संपत्ति विवादास्पद या अतिक्रमण की हुई है तथा उसकी वैधता अस्पष्ट है। इस पर भी जिलाधिकारियों को वक्फ संपत्ति विवाद के मामलों में अंतिम अधिकार दिया जाना उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगाते हुए कहा कि जिलाधिकारी केवल प्रारंभिक जांच कर सकता है। अंतिम फैसला ट्रिब्यूनल या कोर्ट का होगा। याचिका में कहा गया था कि वक्फ में संपत्ति देने के लिए 5 साल इस्लाम पालन की शर्त भेदभावपूर्ण है जबकि केंद्र की दलील थी कि यह अतिक्रमण का जरिया है जिससे कई जमीनें वक्फ में ली गई हैं।
इस पर कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य सरकारें यह तय करने के लिए नियम नहीं बनातीं कि कोई व्यक्ति मुस्लिम है या नहीं तब तक तत्काल प्रभाव से इस पर स्टे लगाया जा रहा है। इस्लाम में धर्म के लिए दिए गए दान को वक्फ कहा गया है जिसका बड़ा महत्व है। इसके पीछे सामाजिक कृतज्ञता की भावना रहती है। वक्फ का दान कभी वापस नहीं लिया जा सकता। इसलिए वक्फ की संपत्ति लगातार बढ़ती चली जा रही है। इस समय देश में 39 लाख एकड़ जमीन वक्फ में है। 1913 से 2013 तक 100 वर्षों में 18 लाख एकड़ जमीन वक्फ में जमा हुई लेकिन इसके बाद पिछले 12 वर्षों में 20 लाख एकड़ जमीन और बढ़ गई। वक्फ संपत्ति पर अतिक्रमण तथा जमीन का गैरव्यवहार हमेशा चिंता का विषय रहा है।
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इसे ध्यान में रखते हुए कुछ मुद्दों पर अदालत ने याचिकाकर्ताओं को झटका दिया है। वक्फ बोर्ड या काउंसिल धार्मिक संस्था है या सार्वजनिक न्यास, इस प्रश्न का ठोस उत्तर अभी मिला नहीं है। अन्य धर्मों में संपत्ति का व्यवस्थापन पब्लिक ट्रस्ट कानून से होता है। इसलिए वक्फ पर भी वही नियम लागू करने की मांग की गई। वक्फ पर गैर मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति का मुद्दा भी विवादित है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए 20 सदस्यों की काउंसिल पर 4 तथा राज्य के बोर्ड पर 3 गैर मुस्लिम सदस्य रखने को कहा फिर भी बोर्ड और काउंसिल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुस्लिम ही रहेंगे। नए कानून पर आपत्ति जतानेवालों को दिलासा देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्मादाय का काम कानून और संविधान के दायरे में किया जाए।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा