भारतीय प्रतिभाओं को जर्मनी-ब्रिटेन से बुलावा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: जब एक रास्ता बंद होता है तो दूसरा खुल जाता है। अमेरिका ने एच-1 बी वीजा शुल्क में अनापशनाप वृद्धि कर भारतीयों को अपने यहां जॉब करने आने से रोका तो यूरोप की 2 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने विदेशी प्रतिभावान लोगों को अपने यहां आने का न्योता दिया। पहले तो ब्रिटेन के वित्तमंत्री के समकक्ष रैचेल रीव्स ने कहा कि हम वैश्विक प्रतिभा और उच्च क्षमतावाले युवाओं को अपने यहां आने के लिए वीजा देना चाहते हैं।
इसके दूसरे दिन भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि भारत के कुशल कर्मियों को जर्मनी में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाना चाहिए। ऐसा प्रस्ताव रखा जाना कोई अनोखी बात नहीं है। तकनीकी प्रगति एवं आर्थिक विकास के लिए प्रतिभाशाली युवाओं की आवश्यकता होती है। जब तक अमेरिका वर्क वीजा देने के वर्क वीजा देने के मामले में उदार था तब तक वहां के प्रमुख अनुसंधान विश्वविद्यालय व संस्थान तथा व्यवसाय प्रतिष्ठान अधिक वेतन पर अन्य देशों के प्रतिभाशाली या हुनरमंद युवाओं को अपने यहां अवसर देते थे। अब अमेरिका ने 1 लाख डालर वीजा शुल्क कर दिया है जिसका उद्देश्य भारत व चीन से आनेवाले युवाओं को हतोत्साहित करना है और मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (मागा) के तहत गोरों को नौकरियां देना है।
ऐसी स्थिति का लाभ उठाकर अन्य देश अपने यहां इन युवाओं को आने का विकल्प दे रहे हैं। इतना जरूर है कि सिर्फ अंग्रेजी जानना पर्याप्त नहीं है, जर्मनी जाने के इच्छुक प्रतिभाशाली युवाओं को जर्मन भाषा भी सीखनी होगी। ब्रिटेन व जर्मनी के अलावा चीन भी 1 अक्टूबर से ‘के’ वीजा जारी करने जा रहा है जिसका भारतीय लाभ उठा सकते हैं। यह वीजा विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग व गणित (स्टेम) में कुशल युवाओं के लिए होगा। चीन विज्ञान के क्षेत्र में आगे है। 2023 में उसके पेटेंट अमेरिका की तुलना में तिगुने थे। चीन विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा हर वर्ष बड़ी तादाद में पेटेंट दाखिल करता है। ब्रिटेन व जर्मनी जाना लोग इसलिए पसंद करेंगे क्योंकि यह लोकतांत्रिक देश हैं।
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ऐसा नहीं है कि कोई भी ब्रिटेन या जर्मनी चला जाए। मई माह में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीथ स्टारमर ने कहा था कि हमें खतरा सता रहा है कि कहीं ब्रिटेन अजनबियों का द्वीप न बन जाए। उन्होंने यह बात कम वेतन पर काम करनेवाले कम हुनरवाले लोगों के लिए कही थी। जर्मन राजदूत एकरमैन ने भी कहा था कि समस्या शरणार्थी लोगों के आने की है लेकिन भारत के कुशल कर्मियों का उनके देश में स्वागत है। लगभग 3 लाख भारतीयों को जर्मनी में रोजगार मिला हुआ है और वह जर्मन भाषा में संवाद कर सकते हैं।
प्रतिभाशाली भारतीय छात्र जर्मनी के विश्वविद्यालयों में पढ़ सकते हैं और स्नातक होने के बाद वहां 18 माह रह सकते हैं। उन्हें वहां रोजगार मिल सकता है। यह वीजा विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग व गणित (स्टेम) में कुशल युवाओं के लिए होगा। चीन विज्ञान के क्षेत्र में आगे है। 2023 में उसके पेटेंट अमेरिका की तुलना में तिगुने थे। चीन विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा हर वर्ष बड़ी तादाद में पेटेंट दाखिल करता है।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा