पाक को सख्त जवाब देगी भारत-तालिबान मैत्री (सौ. सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: ऐसे समय जब पाकिस्तानी सेना और तालिबान के बीच खूनी संघर्ष जारी है तथा अमेरिका और पाकिस्तान की निकटता बढ़ रही है तभी अफगानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी का भारत दौरा होना उपमहाद्वीप में चल रही तेज राजनीतिक हलचलों को दर्शाता है। भारत ने पहले भी रणनीतिक दृष्टिकोण से अफगानिस्तान के विकास में मदद दी थी। वहां संसद भवन और सिंचाई के लिए बांध बनवाया था। मुत्ताकी ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से भेंट की। वह जिस दिन भारत दौरे पर आए उसी दिन पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हवाई हमले किए।
काबुल और दक्षिण पूर्वी प्रांत पक्तिका में हुए बम धमाकों के बाद तालिबान के जवाबी हमले में 58 पाकिस्तानी सैनिक मार गिराने और 25 चौकियों पर कब्जे का दावा किया गया है। दूसरी ओर पाकिस्तान ने अपने 23 सैनिकों के मारे जाने और 200 तालिबानियों की मारने का दावा किया। तालिबान ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हमले किए। दोनों देशों के बीच की डूरंड लाइन पर तालिबान ने टैंक और भारी हथियार तैनात किए हैं। सऊदी अरब और कतर के हस्तक्षेप से फिलहाल संघर्ष रुक गया है। भारत के दुश्मन पाकिस्तान का दुश्मन तालिबान है। इस तरह दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त होता है। अफगान विदेशमंत्री मुत्ताकी का यह कथन उल्लेखनीय है कि भारत विरोधी आतंकवादी कार्रवाइयों के लिए अफगानिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं होने देगा। पहलगाम आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान ने भारत का पक्ष लिया था।
आतंक के खिलाफ एक साथ लड़ने के लिए दोनों देश प्रतिबद्ध हैं। इस तरह पाकिस्तान को अब सोचना पड़ेगा कि उसने पुन: आतंकवादी हमला करने का दुस्साहस किया तो उसे भारत और तालिबान से दोहरी मार पड़ेगी। वैसे तालिबान का इतिहास भी हिंसक रहा है। तालिबान से लगातार संघर्ष से तंग आकर अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से पलायन किया था। तालिबानियों ने बामियान में भगवान बुद्ध की पहाड़ काटकर बनाई गई विशाल प्राचीन प्रतिमाओं को गोलियां चलाकर विद्रूप कर डाला था। महिलाओं की शिक्षा ही नहीं, घर से बाहर निकलने पर भी तालिबान ने रोक लगा रखी है। इन सारी बातों के बावजूद भारत ने तालिबान को रणनीतिक कारणों से सहयोग दिया है।
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रूस ने भी तालिबान शासन को मान्यता दे रखी है। तालिबान का 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा होने के बाद अशांत स्थितियों में भारत ने अपना काबुल स्थित दूतावास बंद कर दिया था जिसे अब उसने पुन: शुरू करने की तैयारी दर्शाई है। इससे दोनों देशों की निकटता बढ़ेगी। इसके साथ ही पाकिस्तान की हरकतों पर भी इससे अंकुश लगेगा। तालिबान को इस बात की भी फिक्र है कि अमेरिका उससे बगराम हवाई अड्डा मांग रहा है जिसे वह चीन व रूस के खिलाफ उपयोग में ला सकता है। तालिबान अमेरिका को फिर अफगानिस्तान में प्रवेश देने के लिए तैयार नहीं है। जहां तक भारत का संबंध है, उसे तालिबान से रिश्ते मजबूत रखते हुए भी सतर्क रहना होगा।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा