GST रियायत का अब असर दिखेगा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: जीएसटी में रियायत एक स्वागतयोग्य कदम है जिससे बाजार में नई रौनक व समृद्धि आएगी और उपभोग को भी प्रोत्साहन मिलेगा।जीएसटी के 12 और 28 प्रतिशत के स्लैब हटाकर अब सिर्फ 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत का स्लैब कर दिया गया है।क्या यह ट्रंप के टैरिफ का असर है? 8 वर्ष पूर्व सभी प्रकार के अप्रत्यक्ष करों का जंजाल खत्म कर एक देश एक टैक्स के रूप में जीएसटी लागू किया गया था।तब इसमें 6 स्लैब थीं।
तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने तब कहा था कि कर प्रणाली का स्वरूप परिपूर्ण नहीं है।अनुभव और व्यवहार से उसे सक्षम बनाया जाएगा।जीएसटी परिषद की बैठकों के बाद 2 बार इसे व्यावहारिक बनाने का प्रयास किया गया।अब केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने वस्तु एवं सेवा कर अर्थात जीएसटी दरों में सुधार को लागू कर दिया है।अप्रत्यक्ष कर वास्तव में उपभोग पर लगाया जानेवाला कर या कंजम्प्शन टैक्स होता है।यह अमीर-गरीब का भेद न करते हुए सभी पर समान रूप से लागू किया जाता है।धनवान लोगों की तुलना में मध्यम और अल्प आय वर्ग इससे अधिक त्रस्त होता है।8 वर्षों तक जनता इसे बर्दाश्त करती रही।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो जीएसटी को अन्यायपूर्ण बताते हुए इसे गब्बरसिंह टैक्स का नाम दिया था।जीएसटी की ऊंची दरों की वजह से अर्थव्यवस्था की रफ्तार में अड़ंगा आ रहा था तथा उपभोग बढ़ने में बाधा आ रही थी।
ग्राहक की मांग तभी बढ़ सकती है जब उसकी खरीदारी क्षमता बढ़े।वर्ल्ड पैनल इंडिया के सर्वेक्षण के अनुसार जून 2022 में जिस परिवार का मासिक खर्च 42,000 रुपए था, वह मार्च 2025 में बढ़कर 56,000 रुपए हो गया।अर्थात 3 वर्ष में 33 प्रतिशत वृद्धि हुई।शहरी विभाग में औसत पारिवारिक खर्च मार्च के अंत तक 73,579 रुपए हो गया।ऐसी कितनी नौकरियां हैं जहां वेतनमान 75,000 रुपए के आसपास हो? इतने पर भी जीएसटी का भार जनता बर्दाश्त करती चली गई।एक ओर देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर मध्यम वर्ग कर्ज के जाल में फंसता चला गया।यह स्थिति सरकार के ध्यान में थी लेकिन केंद्र और राज्य अपने राजस्व में कमी होते देखना नहीं चाहते थे।
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आखिर इस वर्ष स्वाधीनता दिवस पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को दिवाली भेंट का संकेत दिया।इसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने जीएसटी दर से सुधार की ओर कदम बढ़ाना शुरू किया।लगभग 1 माह से बाजार में हलचल ग्राहकों के लिए अच्छे व सस्ते दिन, उद्योग-व्यापार के लिए उत्पादन विपुलता का प्रचार किया गया लेकिन बाजार की मांग में तेजी आती नजर नहीं आई।कुछ वाहन कंपनियों ने तो जीएसटी कटौती लागू होने की तारीख से पहले ही छूट का आफर देना शुरू कर दिया।हो सकता है कि पितृपक्ष की वजह से तब ग्राहकी नहीं बढ़ पाई लेकिन अब नवरात्रि से बाजार में गति आने की उम्मीद की जा रही है।इसे बचत उत्सव का नाम दिया जा रहा है।जनवरी 2026 के बाद पता चलेगा कि जीएसटी दरें घटाने का बाजार और उपभोक्ताओं पर कितना अनुकूल प्रभाव पड़ा।तब निवेशक, अंशधारक व ग्राहक इसे महसूस कर पाएंगे।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा