अतिवृष्टि पीड़ित किसान (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अतिवृष्टि, बादल फटने जैसे प्रकृति के प्रकोप की वजह से विदर्भ, मराठवाडा, खानदेश व पश्चिम महाराष्ट्र के किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।यवतमाल, वाशिम, नांदेड, परभणी, लातूर, हिंगोली, बीड़, धाराशिव जिलों की 17,00,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में कपास, सोयाबीन, तुअर, मका, बाजरा, मूंगफली, गन्ना व सब्जियां पूरी तरह बर्बाद हो गए।हजारों करोड़ रुपए की क्षति होने का अनुमान है।किसानों की मेहनत पर पूरी तरह पानी फिर गया, साथ ही लिए गए कर्ज की रकम, बीज, खाद, कीटनाशक भी तबाह हो गए।अगस्त माह में बहुत पानी बरसा।जलाशय, नदी-नाले लबालब भर गए।पानी इतना बरसा कि खेतों की मिट्टी की उपजाऊ परत बह गई।
धाराशिव जिले के वाशी गांव में बादल फटने की वजह से 2 घंटे में 220 मिलीमीटर पानी बरसा।कृषि के अलावा पशुधन को भी क्षति पहुंची।किसान सब कुछ खो बैठे।उन्हें अब सरकार से मदद की उम्मीद है।सरकार ने तत्काल नुकसान का पंचनामा करने का आदेश दिया है फिर भी कुछ जिलों में पंचनामे का काम शुरू नहीं हुआ है।नुकसान भरपाई की हवा-हवाई घोषणाएं होती हैं लेकिन किसानों के खाते में एक पैसा भी जमा नहीं होता।कठिन शर्तों की वजह से फसल बीमा योजना का लाभ भी नहीं मिलता।बीमा कंपनियां सिर्फ अपनी फायदा देखती हैं।सरकारी मशीनरी सुस्त बनी रहती है।सहायता देते समय राजनीतिक सुविधा, चुनाव क्षेत्र का समीकरण देखा जाता है।नौकरशाही की कछुआ चाल के कारण लाभार्थियों को समय पर सहायता पहुंच नहीं पाती।धैर्य खोकर व संकट से घबराकर किसान आत्महत्या पर उतारू हो जाते हैं।
इस वर्ष जनवरी से मार्च के बीच राज्य के 767 किसानों ने खुदकुशी की।इसके लिए कौन जिम्मेदार है? आश्वासनों की बजाय त्वरित मदद दी जानी चाहिए।2024 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मदद के मानक बदल कर दोगुनी दर से नुकसान भरपाई का निर्णय लिया था।वह निर्णय वर्तमान सरकार ने बदल दिया।अब 2023 के पुराने निर्णय के मुताबिक ही नुकसान भरपाई दी जाएगी।इसलिए अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों को अत्यल्प मुआवजा मिल पाएगा।बीज और खाद के दाम बढ़ गए हैं तथा कृषि की लागत में वृद्धि हुई है।ऐसी स्थिति में तत्काल पंचनामा कर नुकसान भरपाई की रकम किसानों के खाते में जमा कराई जाए।
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फसल बीमा योजना की त्रुटि दूर कर सरल व प्रभावी प्रणाली अपनाई जाए जिससे संकट में पड़े किसानों को राहत मिले।खरीफ की फसल भारी वर्षा ने बरबाद कर दी।जब तक खेतों से पानी नहीं हटेगा, रबी की तैयारी नहीं हो पाएगी।दशहरा-दिवाली त्योहार निकट आ रहे हैं।इसलिए सरकार को हमेशा के नियम परे रखकर किसानों के खाते में तत्काल मुआवजा राशि जमा करनी चाहिए।गीले अकाल की घोषणा कर शीघ्र ही उचित कदम उठाकर किसानों को राहत दें।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा