सरकार ने परोसी गरम जलेबी (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, आपको याद होगा कि लगभग 25 साल पहले फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ में माधुरी दीक्षित ने नाचते-थिरकते हुए गाया था- मेरा पिया घर आया ओ रामजी! अब सरकार ने देश के किसानों को जी-राम-जी योजना का उपहार दिया है। इससे खुश होकर किसानों को गाना चाहिए- रामजी पधारे, सुंदर नगरिया में रामजी पधारे।’ हमने कहा, ‘यह उपहार नहीं बल्कि पुरानी मनरेगा योजना का नया अवतार है। इसे बड़े तेवर के साथ सरकार ने नए कलेवर में पेश किया है।
विपक्ष की तकरार पर ध्यान न देकर इस बदलाव को स्वीकार कीजिए। जरा सोचिए कि इस योजना में राम का नाम है। कहा गया है- कलियुग केवल नाम अधारा। कलियुग में सबसे बड़ा आधार राम नाम ही है।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, राम नाम कहां नहीं है! ऐसे ठगों को पहचानिए जिनका काम है- राम राम जपना, पराया माल अपना! मौका पाते ही सरकारी खजाना लूटनेवाले नेता मानकर चलते हैं- राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट, अंतकाल पछताएगा जब प्राण जाएंगे छूट! कितने ही लोगों का स्वभाव ऐसा होता है कि मुंह में राम, बगल में छुरी। बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे के नाम में भी राम लगा था।’ हमने कहा, ‘आप जलेबी के समान अपनी बातों को गोल-मोल घुमा रहे हैं। आपको मालूम होना चाहिए कि राम तेरे कितने नाम।
जग में सुंदर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम! लोग लंबे समय से बच्चे के नाम में राम लगाते रहे हैं जैसे कि रामकिसन, रामकिशोर, रामखिलावन, रामअवध, रामकिंकर, रामप्रसाद, रामनारायण, रामविलास, रामनिवास, रामजीवन, रामनिहोर, रामबहोर, रामपूजन, रामगणेश, रामचरण, रामतीर्थ, रामदीन, रामलाल, रामचंद्र, राममूर्ति, रामयश, रामबरन, रामसहाय, रामकृपाल। इसके अलावा सीताराम, जानकीराम, बाबूराम, राजाराम, आत्माराम, तुलसीराम, कृपाराम, मायाराम, दाताराम, घासीराम जैसे कितने ही नाम हिंदी भाषी प्रदेशों में मिलेंगे।
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हरियाणा की राजनीति में दलबदलुओं को आयाराम-गयाराम कहते थे। मोदी सरकार के रहते राममंदिर का सपना साकार हो गया और अब किसानों को भी जी-राम-जी योजना मिल गई।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, जब हमें फिल्म नटवरलाल का गाना याद आ गया- मीठी-मीठी बातों से किसी का पेट भरता नहीं, राम का भरोसा हो तो कोई भूखा मरता नहीं!’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा