(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, जर्मनी के प्रोफेसर जेम्स पुडेल ने ‘नेचर’ मैगजीन में केले की विशेषता पर लेख लिखा हैं जिसमें कहा गया है कि केले में मैग्नेशियम के अलावा सेरोटिनिन नामक तत्व रहता है जो मानसिक परेशानी दूर करता है।’’
हमने कहा, ‘‘इसमें नई बात क्या है? ब्राजील में जितना फुटबाल के जादूगर पेले का महत्व रहा है, वैसा ही भारत में केले का है। करोड़ों हिंदू भगवान सत्यनारायण की पूजा कदलीफल-मेवा से करते हैं। देवगुरु बृहस्पति की पूजा में भी केला कंपलसरी है। भक्तजन मानते हैं कि केला अर्पित कर सत्यनारायण की पूजा करो तो कष्ट और भय दूर हो जाता है। बंदी बंधन से छूट जाता है।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जर्मनी के प्रोफेसर पुडेल ने कोई पुड़िया नहीं छोड़ी बल्कि केले की वैज्ञानिक विशेषता बताई है। यदि दिमाग में कोई परेशानी या मानसिक तनाव हो तो झटपट केला खा लो। आत्महत्या के लिए उतारू व्यक्ति को राजी किया जा सकता है कि पहले 2 केले खा लो फिर जो चाहे सो करना। वह इस चाल में फंस जाएगा।”
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘केला खाते ही उसकी बेचैनी दूर हो जाएगी। केले का रसायन सेरोटिनिन अपना असर करेगा। उसमें उत्साह का संचार होगा और वह आत्महत्या का इरादा त्याग देगा। परीक्षा में फेल छात्र, प्रेम में धोखा खानेवाले प्रेमी को केला खिला कर खुदकुशी करने से रोका जा सकता है। राजस्थान का कोटा शहर सुसाइड कैपिटल है। वहां हर कोचिंग क्लास में छात्रों को केले खिलाए जाएं तो आत्महत्या का विचार उनके दिमाग से भाग जाएगा।’’
हमने कहा, ‘‘अपने यहां केले 60 रुपए दर्जन आते हैं। अमेरिका में 1 डॉलर अर्थात 83 रुपए में 2 केले मिलते हैं। केरल और बंगाल में तो केले के तने का नरम भाग भी सब्जी बनाकर खाया जाता है। धार्मिक आयोजनों में लोग केले के पत्ते पर खाना खाते हैं। स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाना हो तो गरीब बस्तियों और नगरपालिका की स्कूलों में बच्चों को अनिवार्य रूप से केले बांटकर पोषण की कमी दूर की जा सकती है। महाराष्ट्र में केले को दूध में मसलकर ‘कालवण’ बनाते हैं। केले को अंग्रेजी में बनाना कहते हैं। एक नेता ने एक बार भारतीयों को मैंगो पीपुल ऑफ बनाना रिपब्लिक कह दिया था। इसका आशय था- अस्थिर गणतंत्र की आम जनता!’’
लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा