किसान अपनी संगठित शक्ति के बल पर सब कुछ कर सकते हैं. देश की आजादी की लड़ाई में किसानों की बड़ी भूमिका रही है. बिहार के चम्पारण में जबरन नील की खेती करानेवाले गोरों के खिलाफ वहां के शोषणग्रस्त किसानों ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में आंदोलन किया था और इस मामले में डाक्टर राजेंद्रप्रसाद ने अदालत में पैरवी की थी. गुजरात के बारडोली में किसान सत्याग्रह का नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था. फिलहाल तेलंगाना के हल्दी उत्पादक किसानों ने बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ अनोखा विरोध शुरू किया है. उन्होंने निजामाबाद से बीजेपी के सांसद अरविंद धरमपुरी का उपहास करनेवाले होर्डिंग पूरे शहर में लगाए है.
पीले रंग के होर्डिंग पर तेलुगू में लिखा है, ‘हल्दी बोर्ड- हमारे निजामाबाद सांसद द्वारा लगाया गया हल्दी बोर्ड!’ किसानों का कहना है कि सांसद अरविंद, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी नेता राम माधव ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान निजामाबाद के हल्दी उत्पादक किसानों से हल्दी बोर्ड स्थापित करने का वादा किया था जिससे अब सरकार इनकार कर रही है. बीजेपी सांसद अरविंद धर्मपुरी ने लोकसभा चुनाव के समय ज्युडीशियल बॉन्ड पर लिखित वादा किया था कि चुनाव जीतने के 5 दिनों के भीतर निजामाबाद को हल्दी बोर्ड मिल जाएगा और अगर वह वादा निभाने में विफल रहते हैं तो इस्तीफा देकर किसानों के अभियान में शामिल हो जाएंगे.
यह वादा पूरा करना तो दूर, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद में कहा कि देश में हल्दी बोर्ड या अन्य मसाला बोर्ड स्थापित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. इस वादाखिलाफी के खिलाफ किसान एकजुट हो गए हैं और सांसद धर्मपुरी को इस अनूठे प्रदर्शन से उनके वादे की याद दिला रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में निजामाबाद सीट से मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता ने चुनाव लड़ा तो उनके खिलाफ सारे हल्दी किसान एकजुट हो गए थे क्योंकि कविता ने अलग हल्दी बोर्ड बनाने की किसानों की मांग को ठुकरा दिया था. किसानों ने 178 निर्दलीय उम्मीदवार उतार कर परेशानी पैदा कर दी थी. तब कविता चुनाव हार गई थीं. जबकि अरविंद धर्मपुरी किसानों से हल्दी बोर्ड का चुनावी वादा कर निर्वाचन जीत गए थे.