(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हृदय परिवर्तन की जबरदस्त मिसाल सामने आई है। अंडरवर्ल्ड डॉन, तस्कर और सुपारी किलर प्रकाश पांडे उर्फ पीपी उर्फ बंटी पांडे अब न केवल संन्यासी बल्कि जूना अखाड़े का महामंडलेश्वर बन गया है। अब वह स्वामी प्रकाशानंद गिरी के नाम से जाना जाएगा। अब आप यह मत पूछिएगा कि ये क्या हुआ, कैसे हुआ, कब हुआ?’’
हमने कहा, ‘‘भारत में पहले भी हृदय परिवर्तन होता रहा है। रत्नाकर नामक डाकू को जंगल में नारदजी मिले। देवर्षि नारद के उपदेश से रत्नाकर का मन बदल गया और वह महर्षि वाल्मिकी बन गया और रामायण लिख डाली। वाल्मिकी भगवान राम के समकालीन थे। उनके आश्रम में सीताजी को शरण मिली जहां उन्होंने अपने पुत्रों लव-कुश को जन्म दिया। वाल्मिकी ने लव-कुश को पढ़ाया व शस्त्र विद्या सिखाई। लव-कुश ने राजा राम के दरबार में जाकर रामायण सुनाई थी। इसी तरह अंगुलीमाल नाम का खूंखार डाकू था जो अपने शिकार की उगलियां काटकर उनकी माला पहना करता था। भगवान बुद्ध का दर्शन करने के बाद उसका मन बदल गया और वह हिंसा त्याग कर बौद्ध भिक्षु बन गया।’’
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, प्रकाश पांडे छोटा राजन गैंग से जुड़ा था। उसने सुपरस्टार शाहरुख खान से रंगदारी मांगी थी। बाद में वह वियतनाम जाकर गैंग चलाने लगा था। जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे प्रकाश पांडे की अध्यात्म में रुचि उत्पन्न हुई। पिछले दिनों कुछ संन्यासी और संत उससे जेल में मिलने आए। उन्होंने धर्मचर्चा के बाद प्रकाश पांडे को महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित किया। अब वह जेल में प्रवचन देकर कैदियों को सुधारेगा।’’
हमने कहा, ‘‘पारस पत्थर के स्पर्श से लोहा भी 24 कैरट सोना बन जाता है। संतों के चमत्कारी स्पर्श से गैंगस्टर भी संन्यासी बन गया। जब मानसिक वृत्ति बदल जाती हैं तो निगेटिव ऊर्जा पॉजिटिव में परिवर्तित हो जाती है। मन की अंधी अमावस पूर्णिमा में बदल जाती है। चंबल घाटी के क्रूर डाकू माधोसिंह, मोहरसिंह, तहसीलदार सिंह ने बाबू जयप्रकाश नारायण के सामने हथियार डालकर आत्मसमर्पण किया था। हृदय परिवर्तन होने के बाद उन्होंने मध्यप्रदेश की मुंगावली स्थित खुली जेल में सजा काटी और कानून माननेवाले अच्छे नागरिक बन गए। महिला डाकू फूलनदेवी तो सांसद भी बन गई थी। इसलिए मानकर चलिए कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है।’’
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लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा