डॉलर का चमकता सितारा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, गिरते हुए को सहारा देना या उठाना हमारी संस्कृति है। इसे अंग्रेजी में अपलिफ्टमेंट कहते हैं। फिलहाल रुपया बुरी तरह गिरता जा रहा है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले वह 90.15 रुपए पर आ गया। ऐसा ही चलता रहा तो शीघ्र ही वह समय आएगा जब 1 डॉलर पूरे 100 रुपए के बराबर हो जाएगा। हमारी सरकार को रुपए की इस हालत पर दया आनी चाहिए। उसे गिरने और लुढ़कने से बचाना चाहिए। ’ हमने कहा, ‘जो गिरता है, उसे कोई नहीं बचाता।
धर्मराज युधिष्ठिर ने भी अपने भाइयों और द्रौपदी को गिरने से नहीं बचाया था। अपने पौत्र परीक्षित को गद्दी पर बिठाने के बाद पांचों पांडव द्रौपदी सहित हिमालय की ऊंचाई पर जाने लगे। एक-एक कर सहदेव, नकुल, द्रौपदी, अर्जुन, भीम खाई में गिरते चले गए लेकिन धर्मराज ने उस ओर ध्यान नहीं दिया और अकेले बढ़ते चले गए। इसी तरह त्रिशंकु जैसे प्रतापी राजा को विश्वामित्र ने सदेह स्वर्ग भेजा। वहां देवताओं ने यह कहकर उसे नीचे गिरा दिया कि बगैर मरे स्वर्ग में कैसे आ रहे हो? विश्वामित्र उसे पृथ्वी पर वापस लेने के लिए तैयार नहीं थे। इसलिए गिरने के बाद त्रिशंकु अधर में लटक गया और ह्यूमन सैटेलाइट बनकर अंतरिक्ष में घूमता रहा। ’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, रुपए के गिरने की बात करने की बजाय आप पुराण कथा सुनाने लगे। कोई तब गिरता है जब बैलेंस बिगड़ता है या केले के छिलके पर पांव फिसल जाता है। बताइए रुपए के साथ क्या हुआ? पुरानी फिल्म ‘बादल’ में मधुबाला प्रेमनाथ को देखकर गाती है- ऐ दिल न मुझसे छुपा, सच बता क्या हुआ? प्रेमनाथ गाता है- जाने भी दो दिलरुबा जो हुआ सो हुआ। ’
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हमने कहा, ‘सीधी बात है कि ट्रंप के टैरिफ लादने और चीन के एक्सपोर्ट बढ़ाने से हमारा रुपया अपना वैल्यू खो बैठा। अब यदि रुपए को और गिरने से बचाना है तो भारत को अपना निर्यात बढ़ाना होगा तथा चीनी माल की खरीदारी से बचना होगा। अब आप भी गिरते रुपए की बजाय सोने के चढ़ते दामों को देखिए। 8वां पे कमीशन आने के बाद नए साल में सरकारी कर्मचारियों का वेतन भी तेजी से ऊपर चढ़ जाएगा। गिरते रुपए की बजाय चढ़ता सूरज देखने की आदत डालिए। ’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा