अवैध भारतीय अप्रवासी (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: हथकड़ी बांधकर सेना के हवाई जहाज से अवैध प्रवासी भारतीयों को वापस भेजा जाना अत्यंत अपमानजनक है। अमेरिका का सैन्य सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट सैन एंटोनियो, टेक्सास से उड़ने के बाद 5 फरवरी की दोपहर अमृतसर में उतरा। इसमें 104 भारतीय थे जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे थे। इनमें 25 महिलाएं थीं और 4-17 आयु वर्ग के 13 नाबालिग (6 लड़कियां व 7 लड़के) भी।
महाराष्ट्र के 3 पुरुषों (35) को छोड़कर जिन अन्य राज्यों (गुजरात 33, हरियाणा 33, पंजाब 30, उत्तर प्रदेश 3 व चंडीगढ़ 2) के व्यक्तियों को वापस भेजा गया है उनकी औसत आयु 26 साल है। कोलंबिया व मैक्सिको की तरह भारत ने इस बात का विरोध नहीं किया है कि उसके नागरिकों को वापस भेजने के लिए सैन्य हवाईजहाज का प्रयोग क्यों किया गया। लेकिन इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है, जब आगे आने वाले महीनों में दर्जनों ऐसी फ्लाइट्स अपने देश में लैंड करने वाली हों।
अमेरिका ने 1.5 मिलियन विदेशियों की सूची तैयार की हुई है, जिन्हें उसे वापस भेजना है, जिनमें 18,000 भारतीय बताये जा रहे हैं। यह 7,25,000 भारतीयों का बहुत मामूली प्रतिशत है जो डंकी रूट लेने की वजह से अमेरिका में बिना कागजात के यानी अवैध रूप से रह रहा है। इससे भी अधिक भारतीय अवैध रूप से कनाडा, यूरोप व पश्चिम एशिया में रह रहे हैं और कुछ अब रूस-यूक्रेन फ्रंटलाइन पर भी हैं।
इन भारतीयों को अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरते हुए देखकर यह प्रश्न प्रासंगिक हो गया कि अधिक शर्मनाक क्या है- सैन्य हवाईजहाज से हाथों व पैरों में बेड़ियां बांधकर यानी पूरी तरह से बेइज्जत करके अवैध प्रवासियों को वापस भेजना या यह कि इतने सारे हताश भारतीय अपने वतन में अपने सपने साकार न कर सके और डंकी रूट अपनाने के लिए मजबूर हुए?
अवैध अप्रवासियों को अमेरिका ने पहले भी वापस भेजा है, लेकिन यह पहला अवसर है जब इस काम के लिए सैन्य हवाईजहाज का इस्तेमाल किया गया और उनके हाथों व पैरों में शातिर मुजरिमों की तरह बेड़ियां डाली गईं। क्या ऐसा करके वाशिंगटन दिल्ली को कोई संदेश देना चाह रहा है? सी-17 के प्रयोग पर अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता का कहना है कि अवैध प्रवासियों को हटाने के लिए अमेरिकी सेना नये ट्रम्प प्रशासन के प्रयासों में तेजी लाने के लिए सहयोग कर रही है।
उल्लेखनीय है कि जब अक्टूबर 2024 में अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस भेजा गया था, तो जो बाइडेन प्रशासन ने चार्टर फ्लाइट का इस्तेमाल किया था। अब सैन्य प्लेन से बेआबरू करके अवैध प्रवासियों को वापस भेजकर वाशिंगटन शायद दिल्ली से यह कहना चाहता है कि अपने चार्टर प्लेन के जरिये अपने नागरिकों को सम्मान के साथ वापस बुला लो।
अवैध प्रवासियों को वापस भेजने में अमेरिका का खर्च प्रति व्यक्ति 4,500 डॉलर से भी अधिक आ रहा है। जाहिर है इतना ज्यादा खर्चा करके बिना कागज वाले सभी लोगों को वापस भेजना अमेरिका के लिए कठिन होगा और ट्रम्प की यह मुहिम अधर में भी लटक सकती है।
अमेरिका में विभिन्न देशों के लगभग 1 करोड़ अवैध प्रवासी होने का अनुमान है। इसलिए देर-सवेर अमेरिका या तो इन्हीं लोगों से अपना खर्चा निकालेगा या इनके मूल देशों पर खर्चा वहन करने का दबाव बनायेगा जैसा कि ऊपर बताया गया है। यह पहला अवसर नहीं है, जब अमेरिका ने भारतीयों को डिपोर्ट किया है।
पिछली अक्टूबर में 100 लोगों को वापस पंजाब भेजा गया था। बहुत खामोशी के साथ 1 अक्टूबर 2023 व 30 सितम्बर 2024 के बीच कुल 1100 भारतीयों को वापस भेजा गया था। लेकिन ट्रम्प ने अवैध प्रवासियों को चुनावी मुद्दा बनाया और अपने नये कार्यकाल के पहले दो सप्ताह इसे सुर्खिर्यों में रखा है।
अब भारत सरकार के लिए यह जरूरी है कि अब अपने नागरिकों को अवैध रूप से अमेरिका (व अन्य देश) जाने से रोके। हर साल, औसतन 90,000 से अधिक भारतीय अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करते हुए पकड़े जाते हैं। यह संख्या 2022-23 में तो बढ़कर 96,917 हो गई थी। कभी कभी इन प्रयासों का अंत त्रासदी में भी होता है, जैसे जनवरी 2022 में एक गुजरती परिवार अमेरिका-कनाडा सीमा पर कड़कती सर्दी में जमकर मर गया था। लेकिन अब जो अमेरिका ने चाबुक चलाया है उससे और अधिक लोगों का निराशा में अंत होगा।
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भारत सरकार को चाहिए कि उन गिरोहों को टारगेट करे जो अवैध प्रवास का नेटवर्क चलाते हैं और साथ ही रोजगार के अवसर उत्पन्न करने पर फोकस करे ताकि किसी नागरिक को अपना वतन छोड़कर वैध या अवैध तरीके से पलायन करने की आवश्यकता ही न पड़े। तभी भारतीयों की समझ में आयेगा कि विदेश में डंकी रूट का खतरा उठाना और बेइज्जती कराना लाभ का सौदा नहीं हैं।
लेख- नौशाबा परवीन द्वारा