(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हमने एक बढि़या, महंगी और मजबूत एसयूवी खरीदी है जो कहीं भी मजे से किसी भी मौसम में चल सकती हैं। चलिए आपको इससे घुमा लाते हैं। शहर की सड़कों के गड्ढों का आप को पता भी नहीं चलेगा।’’ हमने कहा, ‘‘एसयूवी चलाना खतरे से खाली नहीं है क्योंकि मौसम बारिश का है और गड्ढे में भरा पानी इससे उछलेगा।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम नेताओं के समान अपने विरोधी की टोपी, पगड़ी या इज्जत नहीं उछाल रहे हैं। गाड़ी के पहिए से सिर्फ पानी या कीचड़ उछलेगा। इससे किसी के कपड़े दागदार हो सकते हैं लेकिन दामन दागदार नहीं होगा।’’
हमने कहा, ‘‘बारिश में जलजमाव और गड्ढों वाली सड़कों पर गाड़ी चलाएंगे तो बुरे फंसेंगे। पुलिस आपको जेल की हवा खिला सकती है। दिल्ली के मामले से सबक सीखिए आपको मालूम होना चाहिए कि वहां राजेंद्रनगर इलाके की कोचिंग क्लास और लाइब्रेरी में 8 फुट तक पानी भर जाने से 3 विद्यार्थियों की डूबकर मौत हो गई। इस हादसे के लिए अपने मुनाफे के लिए बेसमेंट में कोचिंग क्लास चलानेवाले को दोषी मत मानिए।
पुलिस ने खोज लिया है कि असली गुनहगार कौन है। कोचिंग क्लास के बगल में जलमग्न गड्ढे वाली सड़क थी। मनोज कथूरिया नामक व्यक्ति ने इस सड़क पर अपनी एसयूवी डाल दी। गाड़ी तो निकल गई लेकिन सड़क पर जमा पानी उछलकर बेसमेंट में भरने लगा और कुछ ही मिनिटों में वहां मौजूद विद्यार्थियों की मौत हो गई। पुलिस ने एसयूवी चालक पर सदोष मनुष्य वध या कल्पेबल होमीसाइड का आरोप लगाकर अदालत में पेश कर दिया। अदालत ने भी तत्काल उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यह तो अंधेर नगरी चौपट राजा जैसी बात है। यह कहानी ऐसी है कि दीवार गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। उसके परिवार की शिकायत पर दीवार बनानेवाले राज मिस्त्री को सजा देना तय हुआ लेकिन मिस्त्री ने कहा कि मिट्टी की दीवार बनाने का गारा सही नहीं था। उसमें मिट्टी के साथ सूखी घास नहीं मिल पाई थी क्योंकि घास को बकरी खा गई थी। इसलिए बकरी इंसान की मौत के लिए जिम्मेदार है। अदालत ने मिस्त्री को रिहा कर बकरी को फांसी की सजा सुना दी। न्यायदान कभी ऐसा भी होता है।’’ लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा