बेनामी प्रकरण से भुजबल मुसीबत में (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: महाराष्ट्र की महायुति सरकार के वरिष्ठ मंत्री तथा ओबीसी नेता छगन भुजबल एवं उनके परिवार के सदस्य फिर कानूनी परेशानियों में घिर गए हैं।एक बार तेलगी स्टैम्प प्रकरण में उनका नाम चर्चा में आया था।यद्यपि दिल्ली के महाराष्ट्र सदन निर्माण घोटाला प्रकरण में चमणकर फर्म और उसके संचालकों के खिलाफ अवैध धनशोधन या मनी लान्डरिंग का मुकदमा और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का आरोपपत्र रद्द करके बाम्बे हाईकोर्ट ने भुजबल को राहत दी थी।इतने पर भी यह खुशी जरा भी देर टिक नहीं पाई।
बेनामी लेन-देन के आरोप में भुजबल परिवार के खिलाफ बकाया 4 शिकायतों पर फिर मामला चलाने का आदेश उस विशेष न्यायालय ने दिया जो कि सांसदों-विधायकों के खिलाफ प्रकरणों की सुनवाई करता है।महायुति में शामिल होने के बाद भुजबल के खिलाफ घोटाले के आरोप के प्रकरण एक-एक कर समाप्त हो गए थे लेकिन इस पुराने मामले का भूत फिर आकर उनकी गर्दन पर सवार हो गया।छगन भुजबल के साथ उनके बेटे पंकज और भतीजे समीर के खिलाफ आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति रखने के आरोप में 2021 में यह मामला दाखिल किया था।उन पर काले धन से कंपनी बनाने का आरोप है।
आयकर विभाग की शिकायत पर विशेष न्यायालय ने समन जारी किया तो भुजबल ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।यह संपत्ति 2016 के कानून के दायरे से बाहर होने की दलील स्वीकार करते हुए अदालत ने यह प्रकरण रद्द किया था।इस पर आयकर विभाग ने कहा कि यह मामला गुणवत्ता के आधार पर नहीं बल्कि सिर्फ तकनीकी कारण से रद्द किया गया है।विभाग ने यह मामला फिर से चलाने की मांग की जिसे एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट ने मान्य किया।इस तरह अब पुन: भुजबल की मुश्किलें बढ़ गई हैं।समय की पदचाप को पहचान कर अपनी राजनीति की दिशा बदलने में माहिर भुजबल ने अब तक हर संकट का मुकाबला किया है।लोगों को ऐसा लगता था कि महाराष्ट्र सदन घोटाले में 2 वर्ष जेल में रहने के बाद भुजबल की राजनीति समाप्त हो जाएगी लेकिन वह पुन: मजबूती से खड़े हो गए।जिन लोगों ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे उन्हीं के साथ बैठने का करिश्मा उन्होंने दिखाया।
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अब यह मामला कहां तक खिंचेगा और इसे निपटाने के लिए भुजबल कौन सा तरीका अपनाएंगे, इसे लेकर उत्सुकता बनी रहेगी।राजनीति में कौन कैसी चाल चल रहा है, यह सहसा किसी की समझ में नहीं आता।भुजबल का सरकार पर दबाव रहा है कि मराठा को ओबीसी में से आरक्षण न दिया जाए।उन्होंने जरूरत पड़ने पर ओबीसी का बड़ा मोर्चा निकालने की चेतावनी दी थी।भुजबल का आक्रामक रुख देखते हुए कौन उन्हें फिर से घेरकर मुसीबतों में फंसा रहा है, यह बात समय के साथ सामने आएगी तब तक देखना होगा कि उनके व महायुति के अन्य किन मंत्रियों के पुराने मामले बाहर लाए जाते हैं!
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा