आखिर जी-7 में प्रधानमंत्री मोदी को दिया निमंत्रण (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: आखिर कनाडा को सद्बुद्धि आई। वहां के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अपने देश में होनेवाले जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित किया। शुरू में ऐसा लग रहा था कि कनाडा भारत से दूरी बरत रहा है लेकिन अब कार्नी ने कहा कि वैश्विक सप्लाई चेन तथा अन्य भूराजनीतिक कारणों से इस सम्मेलन में भारत की मौजूदगी जरूरी है। भारत और कनाडा के संबंधों में जस्टिन ट्रूडो की सरकार के समय गहरा तनाव आ गया था। ट्रूडो ने बगैर किसी सबूत के भारत पर खालिस्तानी अलगाववादी हरदीपसिंह निज्जर की हत्या करवाने का आरोप लगाया था।
खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की ट्रूडो की गठबंधन सरकार में भूमिका थी। ट्रूडो ने फाइव आईज नामक 5 देशों के जासूसी संगठन से भारत के खिलाफ जांच कराने का प्रयास किया था। अब कनाडा में प्रधानमंत्री बदल जाने के बावजूद दोनों देशों के संबंध इस बात पर निर्भर करेंगे कि क्या भारत विरोधी कार्रवाइयों में लिप्त खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कनाडा उचित कार्रवाई करता है। कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने कहा है कि दोनों देशों की कानून लागू करनेवाली एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। इतने पर भी भारत की चिंता अपनी जगह है क्योंकि कनाडा की दोनों प्रमुख पार्टियों में खालिस्तान समर्थक तत्व शामिल हैं।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंक के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है जिसे लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता। इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि खालिस्तानी गुटों की पाकिस्तानी आतंकी गुटों से निकटता और तालमेल है। हडसन इंस्टीट्यूट की 2021 की रिपोर्ट में कहा गया था कि खालिस्तानी व कश्मीरी आतंकी गुटों को पाकिस्तान से सहयोग, फंड और सैनिक प्रशिक्षण मिलता है। यह भारत की सुरक्षा के लिए खतरनाक है। वर्तमान स्थितियों में कनाडा के लिए भारत के साथ अच्छे संबंध रखना लाभप्रद रहेगा क्योंकि कनाडा पर ट्रंप लगातार दबाव बना रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि या तो कनाडा अमेरिका का 51वां राज्य बनना स्वीकार कर ले अन्यथा उसके सामान पर भारी टैरिफ लगाया जाएगा।
जब भारत और कनाडा दोनों पर टैरिफ का दबाव है तो यह दोनों देश आपसी व्यापार बढ़ा सकते हैं। कनाडा के पास भरपूर प्राकृतिक संसाधन हैं जिनका अपने विकास के लिए भारत उपयोग कर सकता है। ऐसा लगता है कि कनाडा ने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी को जी-7 सम्मेलन में आमंत्रित किया है। यह सही अवसर है जब द्विपक्षीय संबंध सुधार कर आपसी सहयोग बढ़ाया जाए लेकिन साथ ही कनाडा को राजी किया जाए कि वह खालिस्तानी ताकतों को सहयोग न दे और उनके खिलाफ कार्रवाई करे।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा