
ईरान ने कनाडा की नेवी को आतंकी संगठन घोषित किया (डिजाइन फोटो )
Iran Declares Canadian Navy Terrorist: ईरान और कनाडा के रिश्तों में जमी कड़वाहट अब एक नए और गंभीर स्तर पर पहुंच गई है। तेहरान ने आधिकारिक तौर पर कनाडा की नौसेना को आतंकी संगठन घोषित करने का बड़ा ऐलान किया है। ईरान का यह कदम दोनों देशों के बीच पहले से जारी कूटनीतिक तनाव को और अधिक बढ़ाने वाला माना जा रहा है।
ईरान द्वारा लिया गया यह कड़ा फैसला अचानक नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक पुरानी तनातनी और कनाडा द्वारा उठाया गया पिछला कदम जिम्मेदार है। दरअसल, जून 2024 में कनाडा सरकार ने ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को आधिकारिक तौर पर आतंकी संगठन घोषित कर दिया था।
कनाडा का तर्क था कि उसके पास इस बात के पुख्ता आधार हैं कि IRGC ने न केवल आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया बल्कि उन्हें बढ़ावा देने और ऐसे संगठनों को सहयोग करने में भी भूमिका निभाई जो आतंकवाद में लिप्त हैं। कनाडा के इस फैसले के बाद IRGC से जुड़े किसी भी आर्थिक लेन-देन या समर्थन को वहां के कानून के तहत अपराध की श्रेणी में डाल दिया गया था।
2019 का ईरानी कानून ईरान ने कनाडा के इस फैसले को पूरी तरह से गैरकानूनी और राजनीति से प्रेरित बताया था। इसी के जवाब में, ईरान ने मंगलवार को अपनी घरेलू कानूनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए कनाडा की नौसेना के खिलाफ यह कदम उठाया। यह फैसला ईरान के 2019 के उस घरेलू कानून के तहत लिया गया है, जो स्पष्ट रूप से यह प्रावधान देता है कि यदि कोई देश ईरानी सशस्त्र बलों को आतंकी घोषित करता है तो ईरान भी उस देश के खिलाफ वैसी ही जवाबी कार्रवाई करेगा।
अमेरिका के साथ भी हो चुका है ऐसा कूटनीतिक टकराव ईरान के लिए इस तरह की जवाबी कार्रवाई कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले अप्रैल 2019 में, जब अमेरिका के साथ तनाव चरम पर था तब ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) को आतंकी संगठन घोषित कर दिया था।
यह भी पढ़ें:- मिडिल ईस्ट में युद्ध के हालात! सऊदी का UAE को 24 घंटे का अल्टीमेटम, यमन में बमबारी से बढ़ा तनाव
उस समय ईरान ने अमेरिका को राज्य प्रायोजित आतंकवाद का समर्थक भी करार दिया था। CENTCOM वही इकाई है जो मध्य पूर्व और एशिया के कई हिस्सों में अमेरिकी सैन्य ऑपरेशनों की कमान संभालती है। वर्तमान में, ईरान के इस नए फैसले ने ओटावा और तेहरान के बीच के कूटनीतिक पुलों को लगभग ध्वस्त कर दिया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ गई है।






