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नवभारत विशेष: सत्ता की संभावना देख मिलता है चुनावी चंदा

BJP Political Donations: 2024-25 में बीजेपी को मिले रिकॉर्ड राजनीतिक दान और कॉर्पोरेट इलेक्टोरल ट्रस्ट्स की भूमिका भारतीय लोकतंत्र में फंडिंग और सत्ता के रिश्ते पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: Dec 27, 2025 | 03:23 PM

नवभारत विशेष: सत्ता की संभावना देख मिलता है चुनावी चंदा (सौजन्यः सोशल मीडिया)

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नवभारत डिजिटल डेस्क: बीजेपी को वर्ष 2024-25 में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजनीतिक दान मिला, जो 2023-24 में मिले दान से लगभग 4,000 करोड़ रुपये अधिक है। इस अवधि में बीजेपी का कलेक्शन कांग्रेस से तकरीबन 12 गुना अधिक रहा। कांग्रेस को 2024-25 में 522 करोड़ रुपये मिले, जबकि 2023-24 में उसे 1,130 करोड़ रुपये का दान प्राप्त हुआ था, यानी इस बार उसे आधे से भी कम धन मिला।

चुनाव आयोग ने 18 दिसंबर को न केवल इलेक्टोरल ट्रस्ट्स की योगदान रिपोर्ट जारी की, बल्कि बीजेपी की उस घोषणा को भी सार्वजनिक किया, जिसमें 20,000 रुपये से अधिक दान देने वाले दानकर्ताओं का विवरण दिया गया था। कांग्रेस और छह अन्य राजनीतिक दलों की ऐसी घोषणाएं नवंबर 2025 में प्रकाशित हुई थीं। इस डेटा की समीक्षा से पता चलता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वाले वर्ष में राजनीतिक दान में बीजेपी की हिस्सेदारी 56 प्रतिशत थी, जो 2024-25 में बढ़कर 85 प्रतिशत हो गई। दान का बड़ा हिस्सा अप्रैल और मई में आया, यानी ठीक उसी समय जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ‘अबकी बार 400 पार’ का व्यापक प्रचार चल रहा था।

बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ सत्ता में तो लौटी, लेकिन उसकी सीटें 303 से घटकर 240 रह गईं। चूंकि अधिकांश कॉर्पोरेट समूह इलेक्टोरल ट्रस्ट्स के माध्यम से राजनीतिक फंडिंग कर रहे हैं, इसलिए दान का प्रवाह इन्हीं ट्रस्ट्स के जरिए हुआ। प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने बीजेपी को 2,181 करोड़ रुपये और कांग्रेस को 216 करोड़ रुपये दिये। इस ट्रस्ट का सबसे बड़ा योगदान 50NAV0 करोड़ रुपये एलिवेटेड एवेन्यू रियल्टी एलएलपी का था, जो लार्सन एंड टुब्रो से जुड़ी एक फर्म है।एबी जनरल ट्रस्ट, जिसे परंपरागत रूप से आदित्य बिड़ला समूह प्रमोट करता है, ने बीजेपी को 606 करोड़ रुपये और कांग्रेस को मात्र 15 करोड़ रुपये दिये।न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट को अपना सारा फंड महिंद्रा समूह से मिला और उसने बीजेपी को 150 करोड़ रुपये, जबकि कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) को 5-5 करोड़ रुपये दिये।

इस डेटा से यह भी स्पष्ट होता है कि वही कंपनियां लगातार बीजेपी को दान देती रही हैं, जो पहले भी देती थीं। फर्क सिर्फ इतना है कि दान की मात्रा में जबरदस्त वृद्धि हुई है और कंपनियों ने विपक्षी दलों या एनडीए के अन्य सहयोगियों की तुलना में बीजेपी को कहीं अधिक धन दिया है।सत्तारूढ़ दल को अधिक राजनीतिक फंडिंग मिलना स्वाभाविक है, क्योंकि वही दल कॉर्पोरेट जगत को परियोजनाएं, सब्सिडी और नीतिगत लाभ देने की स्थिति में होता है। राजनीतिक दल चुनाव तो गरीबी उन्मूलन और सामाजिक समानता के आकर्षक नारों पर लड़ते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद वे उन्हीं कॉर्पोरेट घरानों की सेवा में लग जाते हैं, जिन्होंने उन्हें फंड किया होता है।

कॉर्पोरेट इलेक्टोरल फंडिंग के इस चक्रव्यूह से निकलने का रास्ता क्या है? इसका एक समाधान स्टेट फंडिंग है, यानी राज्य द्वारा राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को आर्थिक सहायता दी जाए, ताकि निजी दान पर निर्भरता कम हो और स्वार्थी तत्वों का प्रभाव घटे। हालांकि, अनेक सरकारी रिपोर्टों में अब तक स्टेट फंडिंग की सिफारिश नहीं की गई है।

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कॉर्पोरेट ने बनाया इलेक्टोरल ट्रस्ट

केंद्र सरकार से आकर्षक सब्सिडी के साथ सेमीकंडक्टर परियोजनाएं हासिल करने के कुछ ही सप्ताह बाद टाटा समूह ने अपने नियंत्रण वाले प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से बीजेपी को 757.6 करोड़ रुपये और कांग्रेस को 77.3 करोड़ रुपये चुनावी दान के रूप में दिये। टाटा समूह बीजेपी को व्यक्तिगत तौर पर दान देने वाला सबसे बड़ा कॉर्पोरेट समूह बनकर उभरा है।फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना जिसमें दानकर्ता की पहचान गोपनीय रहती थी। को रद्द किए जाने के बाद अधिकांश कॉर्पोरेट समूहों ने राजनीतिक दलों को दान देने के लिए इलेक्टोरल ट्रस्ट्स का रास्ता अपना लिया है। चुनावी बॉन्ड योजना के निरस्त होने का राजनीतिक दलों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है।

लेख: नौशाबा परवीन के द्वारा

Bjp political donations 2024 25 corporate electoral trusts

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Published On: Dec 27, 2025 | 03:23 PM

Topics:  

  • BJP
  • Central Government
  • Elections
  • Indian Politics
  • Navbharat Editorial

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