(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, “निशानेबाज, सभी जानते हैं कि ढोल में पोल होती है, फिर भी कुछ लोग जानबूझकर नेताओं की शैक्षणिक योग्यता और उनकी डिग्रियों पर सवाल उठाया करते हैं। जनता को इससे क्या लेना-देना! नेता के लिए उसका नेता होना ही काफी है। उसकी शिक्षा को लेकर इतनी उत्सुकता क्यों होनी चाहिए?”
हमने कहा, “सिर्फ इतनी ही बात नहीं है। बीजेपी सांसद डा. सुन्नमण्यम स्वामी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की शैक्षणिक योग्यता के अलावा उनकी नागरिकता पर भी सवाल उठाया है। वह सिद्ध करना चाहते हैं कि राहुल विदेशी नागरिक हैं।”
पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, यदि राहुल विदेशी होते तो भारत जोड़ो यात्रा क्यों निकालते? बीजेपी ने स्वामी को सुपारी दे रखी है कि मौका पाते ही गांधी परिवार पर टूट पड़ो! राहुल गांधी ने 2004 में चुनावी शपथपत्र में बताया था कि उन्होंने कैर्मब्रज से 1995 में एमफिल की डिग्री ली थी। इसके बाद 2009 में राहुल ने बताया था कि उन्होंने फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था। 2014 में कहा था कि उन्होंने डेवलपमेंट स्टडीज में एमफिल किया है। इसमें से कितनी बातें सच हैं, पता नहीं!”
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हमने कहा, “डा. स्वामी ने खोज की है कि राहुल ब्रिटिश नागरिक हैं। 2004 के शपथपत्र में राहुल गांधी ने जिस कंपनी में अपने शेयर होने की बात कही थी, उसके मुताबिक राहुल को इंग्लैंड का नागरिक बताया गया था। उन्होंने एमफिल का जो दस्तावेज जमा कराया था, उसमें उन्हें ‘राउल विंकी’ लिखा गया था।”
पड़ोसी ने कहा, “राहुल कहो या राउल, कोई फर्क नहीं पड़ता। कांग्रेस भी तो पीएम मोदी और स्मृति ईरानी की डिग्री को चुनौती देती रही है। यदि पढ़ाई-लिखाई ही पैमाना होती तो केवल शिक्षाविद, प्रोफेसर और वाइस चांसलर ही चुनाव लड़ते। सरकार चलाने में किताबी ज्ञान नहीं, प्रैक्टिकल समझ लगती है। वोट के रूप में जनता द्वारा दी गई स्वीकृति ही नेताओं की असली डिग्री है। कांग्रेस शासित किसी भी राज्य की यूनिवर्सिटी कभी भी राहुल को ऑनरेरी डाक्टरेट की डिग्री दे सकती है!
लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा