क्या BJP ने लद्दाख में अपना आधार खो दिया (सौ.सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: लद्दाख में शिक्षाविद और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी, उन पर पाकिस्तान से निकटता का मनमाना आरोप लगाने तथा आंदोलनकारियों पर सख्ती की वजह से बीजेपी के खिलाफ नकारात्मक माहौल बना है।लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया था जिसे पूरा नहीं किया गया।इस मांग को लेकर किए आंदोलन को कुचला गया।इसलिए लद्दाख की जनता को लगता है कि बीजेपी ने उसके साथ छल किया है।
2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार लद्दाख से बीजेपी सांसद के रूप में जामयांग त्सेरिंग नामग्याल निर्वाचित हुए थे।पार्टी इस सीमावर्ती संवेदनशील क्षेत्र को संभाल नहीं पाई बल्कि उसने वहां की जनता का विश्वास तोड़ा।नेशनल कमीशन फॉर शिड्यूल्ड ट्राइब्स (एनसीएसटी) के चेयरमैन रहते हुए नंदकुमार साई ने 2019 में सिफारिश की थी कि व्यापक मांग को देखते हुए लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाए।यदि इस सुझाव को लागू किया जाता तो लद्दाख में ऐसी हिंसा नहीं होती।5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया था जिसमें लद्दाख शामिल था।इस निर्णय पर लेह में खुशियां मनाई गई थीं और इसे दीर्घकालीन संघर्ष का नतीजा बताया गया था।
3 सितंबर 2019 को लोकसभा में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने एनसीएसटी की सिफारिश का उल्लेख करते हुए कहा कि लद्दाख स्वायत्त क्षेत्र विकास परिषद अधिनियम 1997 तथा बाद में किए गए संशोधनों की वजह से इस परिषद के अधिकार छठी अनुसूची में होनेवाले फायदों से मेल खाते हैं।2020 में जब इस परिषद का चुनाव हुआ तब बीजेपी ने खुद छठी अनुसूची के तहत क्षेत्र के संरक्षण का वादा किया था।बीजेपी ने चुनाव जीता लेकिन 5 वर्षों में वादा पूरा नहीं किया।2022 में गृह मंत्रालय ने कहा कि जनजाति समूहों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सशक्त बनाने का जो मुख्य उद्देश्य छठी अनूसूची में है वह लद्दाख को केंद्र प्रशासित क्षेत्र बनाने से पहले ही पूरा हो गया है।
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केंद्र के टालमटोल वाले रवैये के खिलाफ बौद्धों की बहुलता वाला लेह और मुस्लिम बहुमत वाला कारगिल एकजुट हो गए हैं।कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस विरोध आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है।जिन आरोपों की बुनियाद पर सोनम वांगचुक को गिरफ्तार किया गया वह जनता को विश्वसनीय नहीं लगते।कुछ माह पूर्व तक बीजेपी खुद सोनम वांगचुक पर सोशल मीडिया में रील बनाती थी और अब उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) में हिरासत में ले लिया गया।कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस ने कहा है कि वांगचुक की रिहाई और गिरफ्तारियां रोकने तक केंद्र से कोई चर्चा नहीं की जाएगी।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा