(डिजाइन फोटो)
महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव नवंबर के द्वितीय या तृतीय सप्ताह में होने की संभावना है। इसके पहले चुनाव आयोग ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा की चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद अर्थात 10 अक्टूबर के पश्चात अन्य राज्यों जैसे झारखंड व महाराष्ट्र के चुनाव की घोषणा की जाएगी। इसे देखते हुए अक्टूबर के दूसरे या तीसरे सप्ताह में चुनाव आचार संहिता लागू होने की संभावना है।
इस दौरान सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास आघाड़ी के प्रमुख नेता सीटों के बटवारे का फार्मूला तय करने में व्यस्त हैं। इसके लिए बैठकों का सिलसिला जारी है। सभी नेता यही कहते हैं कि हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है। सीटों के आवंटन का मुद्दा शीघ्र ही तय कर लिया जाएगा। वास्तविकता इस दावे से बिल्कुल विपरीत है।
आघाड़ी और महायुति दोनों में एक राष्ट्रीय स्तरीय पार्टी और 2 क्षेत्रीय पार्टियों का समावेश है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपने पास अधिक सीटें रखकर सहयोगी पार्टियों को कम सीट देना चाहती हैं। जब 3 पार्टियां एक साथ आती हैं तो उनमें आपसी अविश्वास और प्रतिस्पर्धा भी होती है। सीटों के वितरण को लेकर उनके बीच खींचतान होना स्वाभाविक है।
ऊपर से जनता को यह बताया जाता है कि गठबंधन की पार्टियों के बीच अच्छा तालमेल और सौहार्द्रपूर्ण संबंध हैं लेकिन सीटों पर अपना प्रभाव और दावा जताने के लिए तनातनी अवश्य होगी। ऐसे में जिसे टिकट नहीं मिली, वह बगावत भी कर सकता है। पार्टी में अनुशासन रह सकता है, गठबंधन में ऐसा कुछ भी नहीं होता।
यह भी पढ़ें- कांग्रेस, नेकां, पीडीपी की आलोचना, प्रधानमंत्री का फिर वंशवाद पर निशाना
महायुति या महाविकास आघाड़ी में जिसे टिकट देने से इनकार किया जाएगा वह निर्दलीय चुनाव लड़ सकता है या अपने ही गठबंधन से बगावत कर सकता है। कोई आश्चर्य नहीं कि विधानसभा चुनाव में असंतुष्ट निर्दलीयों की बाढ़ आ जाए। पिछले 5 वर्षों से जो नेता अपने ऐशो-आराम व सत्ता की मस्ती में डूबे रहे, अब उनकी अग्निपरीक्षा है।
किसी भी पार्टी में जनता के सामने जाने का भरपूर साहस नहीं है। राजनीति में चुनाव के पहले और चुनाव नतीजे आने के बाद गठबंधन बनते देखे गए हैं। मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा अनेक नेता रखते हैं। यह पार्टियों को मिलनेवाली सीटों की संख्या पर अवलंबित रहेगा। एकनाथ शिंदे अपना सीएम पद कायम रखना चाहते हैं तो बीजेपी इस बार इसके लिए मजबूती से दावा कर सकती है।
अजीत पवार अपनी राजनीतिक सीनियारिटी का दावा कर रहे हैं। महाविकास आघाड़ी में कांग्रेस अनुकूल नतीजों की आशा लगाए हुए है। उद्धव पुन: सीएम बनने की आशा लगाए हुए हैं जबकि शरद पवार ने कहा है कि जिसकी सीटें अधिक आएंगी उसका मुख्यमंत्री बनेगा।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा