(डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, क्या आपने कभी कल्पना की है कि एक भिखारी भी इतना दौलतमंद हो सकता है कि वह 20,000 लोगों को शानदार दावत खिलाए? पाकिस्तान के गुजरानवाला में यह नजारा देखने को मिला। भिखारी ने उसकी दादी के मरने के 40वें दिन (जिसे मुस्लिम चेलहम कहते हैं) 1.25 करोड़ रुपए खर्च कर लोगों को खाना खिलाया जिसमें तरह-तरह के पकवान शामिल थे। मीठा भात से लेकर मांसाहारी डिशेज तक शामिल कर रेलवे स्टेशन के पास भव्य शामियाने में दावत दी गई। इसके लिए 250 बकरे कुर्बान किए गए।’’
हमने कहा, ‘‘आपको भिखारी का इतना गुणगान करने की कोई जरूरत नहीं है। पाकिस्तान खुद एक भिखारी देश है जो पहले अमेरिका से मिली भीख पर पलता रहा और अब चीन की खैरात पर जी रहा है। उसकी अंतरराष्ट्रीय इमेज भिखमंगे की हो गई है। हजारों पाकिस्तानी भिखारियों की वजह से सऊदी अरब की नाक में दम हो गया है। ये लोग हज करने के नाम पर मक्का-मदीना जाते है तो फिर वापस लौटने की बजाय वहीं रहकर भीख मांगने का धंधा शुरू कर देते हैं। अनेक मुल्कों से आए हज यात्री उन्हें भीख के कटोरे में मोटी रकम देते रहते हैं। सऊदी अरब ने इन भिखारियों को वापस पाकिस्तान भेजने की ठान ली है और पाकिस्तान सरकार को फटकार लगाई है। शहबाज शरीफ की सरकार ने सऊदी अधिकारियों को भरोसा दिलाया कि पाकिस्तान से सऊदी अरब में भिखारियों को भेजने वाले नेटवर्क को खत्म करने के लिए कदम उठाएगा।’’
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कोई मजबूरी में भिखारी बने तो समझ में आता है, लेकिन पाकिस्तानी इसे धंधा बना बैठे हैं। ऐसे इंटरनेशनल भिखमंगे दीन-दुखी और गरीब होने की नौटंकी कर करोड़ों की दौलत कमा लेते हैं। इसलिए आप समझ गए होंगे कि गुजरानवाला के भिखारी ने 1 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर हजारों लोगों को दावत कैसे दी। किसी के सामने हाथ फैलाकर भीख मांगनेवाला सबसे पहले अपना स्वाभिमान खो देता है। अपने यहां कहा गया कि उत्तम खेती, मध्यम बान, अधम चाकरी, भीख निदान अर्थात खेती करना सर्वोत्तम है फिर व्यापार, बाद में नौकरी करना और सबसे आखिर में भीख मांगना।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, खेती उत्तम होती तो हजारों किसान खुदकुशी क्यों करते? भीख मांगना निकृष्ट था तो भिखारी ने इतनी आलीशान दावत कैसे दी? पुरानी कहावतों में अब कोई दम नहीं रह गया।’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा