(डिजाइन फोटो)
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग ने मतदान की ऐसी उपयुक्त तारीख तय की है जिसके आसपास कोई त्योहार नहीं है और न ही परीक्षाएं हैं। इसलिए वोट नहीं डालने का कोई बहाना मौजूद नहीं है। हर मतदाता को सजगतापूर्वक अपने स्वतंत्र और निष्पक्ष मताधिकार का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।
यह उसका अधिकार ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संविधान के प्रति कर्तव्य भी है। जनता ने राज्य में महाविकास आघाड़ी और महायुति की दोनों सरकारें देख लीं। पार्टियों को टूटते और नए गठबंधन करते देखा। राज्य में पहले 4 प्रमुख पार्टियां थीं लेकिन शिवसेना व एनसीपी के विभाजन से बढ़कर 6 हो गईं।
नेताओं के कार्यकलाप या परफार्मेंस का भी जनता ने अच्छी तरह जायजा ले लिया। लोग मिट्टी की हंडी भी ठोक-बजाकर खरीदते हैं। बेटी के लिए सुयोग्य वर का चयन करते हैं। बाजार में खरीदी करते समय वैल्यू फॉर मनी का ध्यान रखते हैं। गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं करते तो मतदान के जरिए नेतृत्व चयन में भी उतनी ही सजगता बरती जानी चाहिए।
सही और ईमानदार नेतृत्व ही पूरी प्रतिबद्धता के साथ राज्य का चहुंमुखी विकास करेगा। नेता लुभावने वादे कर सकते हैं लेकिन नेताओं को परखने की कसौटी मतदाता के पास है। सजग मतदाता ही लोकतंत्र की वास्तविक जड़ है। उसका मतदान रूपी जनादेश राज्य का कायाकल्प कर सकता है। जो लोग मतदान को गंभीरता से नहीं लेते और वह दिन छुट्टी बिताने या आराम करने में बिता देते हैं उन्हें अपने मताधिकार के महत्व के प्रति जागरूक होना होगा।
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देश की आजादी के बाद संविधान ने हर वयस्क नागरिक को मताधिकार दिया है जिसे एडल्ट फ्रेंचाइस कहा जाता है। यह मताधिकार गर्व का विषय होने के साथ ही एक नियामत है। जहां राजतंत्र या तानाशाही है, वहां मतदान की कल्पना तक नहीं की जा सकती। यह कह कर घर बैठने में मतलब नहीं है कि कोई भी उम्मीदवार जंच नहीं रहा है।
ऐसा सोचनेवाला निष्क्रिय न बैठे। जो भी उपलब्ध हैं उनमें से बेहतर लगनेवाले प्रत्याशी को अपना वोट दे और नहीं तो जाकर नोटा का बटन दबा दे लेकिन मतदान केंद्र जाए जरूर! हर आजाद मुल्क में वोटिंग का बहुत महत्व है। यह मतदाता को फैसला करने का अधिकार देता है कि वह अगले 5 वर्षों के लिए किस पार्टी या नेता के प्रति अपना भरोसा जताता है।
मतदान के वक्त वोटर की हैसियत किसी जज या एक दिन के राजा के समान होती है। उसे किसी भी छलावे, प्रलोभन में न आते हुए निर्भय होकर स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान करना चाहिए। इसलिए लोकतंत्र का तकाजा है कि वोटर भाई, वोट अवश्य डालना!
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा