नागपुर हवाई अड्डा (डिजाइन फोटो)
विलंब से ही सही, विदर्भ के विकास की ओर ध्यान गया है अन्यथा महाराष्ट्र निर्माण के बाद से 6 दशकों में राज्य का यह हिस्सा कृषि, सिंचाई, उद्योग, रोजगार हर क्षेत्र में पिछड़ा रखा गया था। विकास की गंगा सिर्फ पुणे, बारामती और पश्चिम महाराष्ट्र में ही बहती थी। विदर्भ की बिजली से प. महाराष्ट्र के शहर जगमगाते और उद्योग चलते थे।
कोयला, कपास की पूर्ति भी विदर्भ से होती थी। पिछली कुछ सरकारों में भी विदर्भ के नेता शामिल थे लेकिन मुंबई जाकर उनके विचार बदल गए। नागपुर करार की पूरी तरह उपेक्षा की गई जिससे विदर्भ को विकास में झुकता माप देने का वादा किया गया था। यह तो हुआ इतिहास लेकिन देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने के बाद उनकी इच्छाशक्ति की वजह से नागपुर के निकट मिहान में एसईजेड के तहत बुनियादी सुविधाओं का निर्माण हुआ।
बोइंग के एमआरओ सहित अनेक उद्योगों ने नागपुर आने में रुचि दर्शाई। आगामी वर्ष नागपुर में फाल्कन, राफेल विमानों का निर्माण शुरू होगा। नागपुर में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के प्रयास से मेट्रो शुरू हुई। इसके बाद पुणे, मुंबई में मेट्रो चालू हुई। मिहान के पूर्ण क्षमता से विकास हेतु विमानतल का विस्तारित रनवे चाहिए।
वर्तमान हवाई पट्टी 45 मीटर चौड़ी और 3600 मीटर लंबी है। अभी यहां एक बार में 17 विमान उतर सकते हैं। विकास की जरूरतों को देखकर इस रनवे के बगल से 60 मीटर चौड़ी व 4000 मीटर लंबी एक और हवाई पट्टी बनाई जाएगी जिसका वर्चुवल भूमिपूजन गत सप्ताह प्रधानमंत्री मोदी ने किया।
यह भी पढ़ें- वित्त विभाग की मंजूरी बिना, कैसे लागू हो पाएंगे लोकलुभावन फैसले
वहां एक साथ 100 विमान खड़े रह सकेंगे। एक बड़ी औद्योगिक बस्ती से लगकर कार्गो हब और बड़ा विमानतल अत्यंत सुविधाजनक रहेगा। नागपुर का विमानतल एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया के पास था। उसका विस्तार करने के लिए इसका हस्तांतरण महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट कंपनी को किया जाना आवश्यक था लेकिन 2 बड़े नेताओं की श्रेय लेने की होड़ में हस्तांतरण कुछ वर्षों तक अटका रहा।
अंतत: मिहान इंडिया लिमिटेड की 70 प्रतिशत और एएआई की 30 प्रतिशत भागीदारी के साथ कंपनी बनी। नए रनवे के लिए जारी निविदा अदालती लड़ाई में फंस गईं। उससे बाहर निकलने में भी कुछ वर्ष लग गए। विमानतल निर्माण का दीर्घकालीन अनुभव रखनेवाली जीएमआर कंपनी को यह काम सौंपा गया। फडणवीस ने विधायक रहते हुए इस परियोजना का स्वप्न देखा और मुख्यमंत्री रहते हुए प्रयास जारी रखे।
अब उनका सपना साकार होने जा रहा है। नया विमानतल 3,00,000 वर्गफुट क्षेत्र में बनेगा। 2030 में प्रतिवर्ष 1।40 करोड़ यात्री इसका इस्तेमाल करेंगे। साथ ही 9 लाख टन कार्गो का हवाई परिवहन भी होगा। इसकी वजह से कृषि उपज, वस्त्र, औषधि व अन्य वस्तुओं के निर्यात को बल मिलेगा तथा लगभग 1 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा। समृद्धि महामार्ग, माझी मेट्रो और विस्तारित विमानतल विकास की त्रिसूत्री साबित होंगे। प्रयास यही होगा कि विदर्भ पिछड़ा न रह जाए।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा