
कॉन्सेप्ट फोटो (नवभारत)
Indian Political Controversy On Jawaharlal Nehru: पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आधुनिक भारत के निर्माता, औद्योगिक क्रांति के प्रवर्तक व देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. पं. जवाहरलाल नेहरू अपने निधन के 61 वर्ष बाद भी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को भयभीत किए हुए हैं। वह देश की हर समस्या के लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराते हैं। पुरानी संसद से लेकर नए संसद भवन तक उनके नाम की माला जपी जाती है। प्रियंका गांधी ने कहा कि यदि बीजेपी को नेहरू के नाम से इतनी नफरत है तो एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर उसमें नेहरू के खिलाफ जितना भी बोलना है, एक साथ बोल डालें।’
हमने कहा, ‘यह कैसे संभव है? झूठकी फैक्ट्री में बेतुके और विद्वेषपूर्ण जहरीले बयान तैयार करने में समय लगता है। बीजेपी नेता अपना पिटारा एकसाथ थोड़े ही खोलेंगे! रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरदार पटेल के सोमनाथ मंदिर बनवाने के जवाब में पं. नेहरू बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण करना चाहते थे। वह भूल गए कि विज्ञानवादी आधुनिक सोच रखने वाले नेहरू की धर्म या मजहब में कोई रुचि नहीं थी। यदि राजनाथ ने नेहरू की ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ पढ़ी होती तो उनके उदार विचारों को जानते।
ऐसे ही गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि नेहरू ने वोट चोरी की। तब सरदार वल्लभभाई पटेल को 27 वोट और नेहरू को 2 वोट मिले थे फिर भी नेहरू प्रधानमंत्री बन गए। शाह को समझना चाहिए कि वोट चोरी में वोट बढ़ जाते हैं, कम नहीं होते। पटेल को कांग्रेस कमेटियों के ज्यादा वोट मिलने पर भी महात्मा गांधी ने पटेल को समझाया था कि नेहरू युवा हैं। दुनिया के देशों में उनका नाम है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर उनकी पकड़ है। इसलिए उन्हें प्रधानमंत्री बनने दो। आपका काम गृहमंत्री बनकर नेहरू को मजबूती देना है और देश की बड़ी समस्याओं को सुलझाना है।
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गांधी की बात पटेल ने तुरंत मान ली और फिर गृहमंत्री के रूप में उन्होंने 650 रियासतों व हैदराबाद का भारत में विलय कराया। आजादी के ढाई वर्ष बाद ही सरदार पटेल का निधन हो गया जबकि नेहरू 17 वर्षों तक प्रधानमंत्री बने रहे, यह एक रिकॉर्ड है। नेहरू, इंदिरा, राजीव के रहते जनसंधियों का सत्ता हासिल करने का सपना पूरा नहीं हो पाया था इसलिए उन्हें नेहरू का नाम करेले या नीम से भी कड़वा लगता है। नेहरू के नाम पर नकारात्मक नैरेटिव दिए बिना उन्हें खाना हजम नहीं होता।’






