दिल्ली की इस जहरीली हवा की दवा क्या है ?
नवभारत डिजिटल डेस्क: दिल्ली के कई सीनियर एडवोकेट ने सुबह के समय वायु प्रदूषण के चलते दिक्कत की बात कही है. इनमें सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल भी शामिल हैं, जिनके मुताबिक 400-500 एक्यूआई में सांस लेना, जहर को निगलने जैसा है। पृथ्वी पर सबसे जहरीली हवा हमारी राजधानी की है,सर्दियों में इसकी हवा विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से दस गुना और राष्ट्रीय मानक से तीन गुना खराब बनी रहती है। राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के पार और उसके कुछ इलाके बहुधा 700 भी पार कर जाते हैं।
कभी 177 प्रदूषित देशों में हमारा स्थान 155वां था, फिर 180 में 176वां हुआ, आज 183 देशों में 177वां है. राजस्थान, महाराष्ट्र, उतर प्रदेश, हरियाणा सहित दक्षिणी राज्यों का भी शायद ही कोई शहर एयर क्वालिटी इंडेक्स पर 100 सूचकांक से नीचे नजर आए. ये सब खराब श्रेणी में ही हैं. वे यह सोच भी नहीं सकते कि नॉर्वे के ओस्लो का औसत एक्यूआई मान महज 1 से 2 तक, ऑटो इंडस्ट्री के चलते कभी वायु प्रदूषण के लिए कुख्यात डेट्रॉइट का 8, अल्जीयर्स का 11, ऑस्ट्रेलिया के सिडनी का 16 और अमेरिका की साल्ट लेक सिटी का 17 भी हो सकता है. ऐसा ही रहा तो कुछ वर्षों में देश के औद्योगिक शहरों का वातावरण दमघोंटू हो जाएगा।
लोग पाउच में साफ हवा लेकर चलेंगे. एयर प्यूरीफायर, ह्यूमिडिफायर, उन्नत फिल्ट्रेशन सिस्टम, खास तरह के मास्क, पोर्टेबल ऑक्सीजन कैन जैसे उत्पादों वाला प्रदूषण का बाजार फल-फूल रहा होगा. प्रश्न यह है कि इसका करें क्या? इस हवा के इलाज की कोई अकसीर दवा भी है? चीन, यूरोप और अमेरिका में आम तौर पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 के ऊपर जाते ही तात्कालिक सुधारात्मक उपाय शुरू कर दिए जाते हैं. नॉर्वे ने इलेक्ट्रक वाहनों को प्रोत्साहित किया, तो कोलंबिया ने अपनी राजधानी बोगोटा में सार्वजनिक बस नेटवर्क का विद्युतीकरण करने के साथ साइकिल के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर वायु प्रदूषण पर काबू पाया. मगर हमारे लिए चीन एक संभावित मॉडल लगता है. चीन ने शहरों में विंड-वेंटीलेशन कॉरिडोर बनाया ताकि स्मॉग जमा न हो सके।
स्टील उत्पादन, सीमेंट निर्माण जैसे भारी प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को बंद या अपग्रेड किया अथवा कहीं दूर स्थानांतरित कर दिया. शहरों को अपनी वायु गुणवत्ता मानकों में सुधार के लिए प्रेरित किया तथा रिन्यूएबल एनर्जी और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देते हुए कोयले का इस्तेमाल न्यून किया. इसी तरह नेचुरल गैस, सोलर पावर का उपयोग बढ़ाया, पुराने वाहनों को सड़कों से हटाकर इलेट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया. चीन ने ब्लू स्काई योजना को लागू किया, जो बेहद सफल रही।
इससे चीन ने अपने बहुत से शहरों में वायु प्रदूषण लगभग 60 फीसदी तक कम किया. चीनी नीतियों ने चार साल के भीतर बीजिंग सहित कई शहरों का वायु प्रदूषण 35 प्रतिशत सालाना तक घटा लिया. क्या हम चीन की तरह संयमित, सख्त वायु-प्रदूषण नियंत्रण रणनीति अपना सकेंगे? जब तक वायु प्रदूषण की शिकार जनता खुद इसके लिए आंदोलन की कोशिश नहीं करेगी, तब तक किसी की सहायता से अथवा कोई मॉडल अपनाने से बड़ा बदलाव लाना मुश्किल है.
देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत दिल्ली की गंभीर रूप से प्रदूषित हवा को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई वर्चुअल मोड में शिफ्ट करने की संभावना पर विचार कर रहे हैं. उनके मुताबिक चीफ जस्टिस बनने के अगले दिन जब वह सुबह के समय सैर के लिए निकले, तो कुछ ही मिनटों बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. सुप्रीम कोर्ट में 60 वर्ष से अधिक उम्र के वकीलों को वर्चुअल सुनवाई की अनुमति देने का सुझाव भी रखा गया है।
लेख- संजय श्रीवास्तव के द्वारा