मां महागौरी की आज करें पूजा (सौ.सोशल मीडिया)
Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि के दिन आज माता दुर्गा के आठवें स्वरूप यानि मां महागौरी की पूजा की जाती है। आज का दिन को अष्टमी पूजा के रुप में जाना जाता है जिस मौके पर सुबह के समय में विधि-विधान से पूजा करने का नियम होता है। कहा जाता हैं कि, आठवें दिन माता का पूजन करने के साथ कन्याओं को देवी के रूप में पूजकर भोजन कराया जाता है। जानते हैं माता दुर्गा की इस आठवीं शक्ति के बारे में और पूजा करने की विधि के बारे में।
यहां पर माता दुर्गा की आठवीं शक्ति मां महागौरी को माना गया हैं जिसे मां पार्वती(अन्नपूर्णा) के रूप में पूजा जाता है। यहां पर वर्णन करें तो, इनका वर्ण पूर्ण रूप से गौर है,इसलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। इसके अलावा यहां पर महागौरी मां की गौरता की उपमा शंख,चंद्र और कुंद के फूल से की गई है साथ ही वे आठ वर्ष के रूप में जानी जाती है। खास बात है कि, माता महागौरी के वस्त्र और आभूषण श्वेत रंग के होते हैं औऱ उन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली महागौरी के नाम से जाना जाता है।
यहां पर माता महागौरी की पूजा करने की विधि काफी सरल है चलिए जानते हैं इसके बारे में
1- आठवे दिन आप महागौरी की पूजा करने के लिए प्रात: काल उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़ें पहन लें।
2-इसके साथ ही व्रत में आप आज के दिन मां को सफेद पुष्प अर्पित करें, मां की वंदना मंत्र का उच्चारण करें।
3-इस दिन पूजन करने के बाद भोग के रूप में हलुआ,पूरी,सब्जी,काले चने एवं नारियल का भोग लगाएं।
4- पूजा के दौरान आप माता को चुनरी अर्पित कर सकते हैं।
5- आज के दिन पूजा करने के बाद आप कन्याओं को भोजन भी करा सकते हैं ये शुभ फल देने वाला माना गया है।
यहां पर माता की आठवीं शक्ति महागौरी को लेकर एक कथा प्रचलित हैं इसके अनुसार कहा जाता है कि, भगवान शिव को पति के रूप में पाने हेतु देवी ने कठिन तपस्या की थी जिससे देवी का शरीर काला पड़ गया था। भगवान शंकर देवी की साधना से प्रसन्न होकर मां के शरीर को गंगा-जल से स्वच्छ किया था। तब माता का स्वरूप अत्यंत सुंदर और गौर वर्ण का हो गया और तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। कहते हैं जो भी भक्त माता दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करते हैं उनके सभी पाप धुल जाते हैं और उपासक सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है। उसके पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं और भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं रहते। कहा जाता है कि, माता के इस रूप की पूजा करने से धन-धन्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।