ज्येष्ठ गौरी व्रत 2024 (सौ.सोशल मीडिया)
महाराष्ट्र के मुख्य पर्वों में से यह एक ज्येष्ठा गौरी पूजा (Jyeshtha Gauri 2024) का महापर्व है। जो हर साल भाद्रपद के महीने में मनाया जाता है। अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मराठी महिलाएं यह व्रत करती है।ये विशेष त्योहार गणेश चतुर्थी के दौरान मनाया जाता है और ज्येष्ठ गौरी आवाहन से शुरू होकर तीन दिनों तक मनाया जाता है, इसके बाद ज्येष्ठ गौरी पूजा होती है और ज्येष्ठ गौरी विसर्जन पर समाप्त होती है।
गौरी पूजा या ज्येष्ठ गौरी पूजन के रूप में भी जाना जाता है, इस वर्ष शुभ त्योहार 10 सितंबर को शुरू होने वाला है जो कि 12 सितंबर, 2024 को समाप्त होगा।
ज्येष्ठ गौरी आवाहन
मंगलवार, सितम्बर 10, 2024 को
ज्येष्ठ गौरी आवाहन मुहूर्त
6:04 ए एम से शाम 6:32 बजे
अवधि – 12 घण्टे 28 मिनट्स
बुधवार, सितम्बर 11, 2024 को
ज्येष्ठ गौरी विसर्जन बृहस्पतिवार, सितम्बर 12, 2024 को
अनुराधा नक्षत्र प्रारम्भ – सितम्बर 9, 2024 को शाम 6:04 बजे
अनुराधा नक्षत्र समाप्त – सितम्बर 10, 2024 को शाम 8:04 बजे
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माता गौरी को शुद्ध जल से स्नान करा के एक साफ चौकी पर कपड़ा बिछाकर। माता गौरी को विराजमान किया जाता है। उसके बाद माता गौरी को साड़ी पहनाकर सोलह श्रृंगार किया जाता है।
उसके बाद माता के माथे पर हल्दी-कुमकुम और अक्षत लगाते है। ज्येष्ठ गौरी के दिन माता गौरी की प्रतिमा शुभ मुहूर्त में स्थापना की जाती है।
दूसरे दिन नैवेद्य को 16 सब्जियां, 16 सलाद, 16 चटनी, 16 व्यंजन माता गौरी को चढ़ाए जाते हैं। इसके बाद 16 दीपक के साथ मां की आरती करने की मान्यता है।
ज्येष्ठ गौरी माता भगवान गणेश की माता है। ज्येष्ठ गौरी माता को अन्नपूर्णा देवी माना जाता है। इसका अर्थ होता है, सभी चीजों से संपन्न महालक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं इसलिए, भक्त समृद्ध जीवन के लिए गौरी महालक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस व्रत को रखना शुभ फल दायक माना जाता है ऐसा करने से लाभ मिलते है। यह व्रत महाराष्ट्र में विशेष रुप से रखा जाता है, तो वहीं पर इस व्रत के खास नियम भी होते है जिनके बारे में खास जानकारी होनी चाहिए। व्रत के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही बिल्कुल नहीं बरतें।
लेखिका-सीमा कुमारी