शादी-ब्याह के लिए की जाती है भगवान शिव की पूजा (सौ. फाइल फोटो)
Lord Shiva Pujan: सावन का पावन का महीना चल रहा है जिसे भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे खास महीने के रूप में जाना जाता है। सावन माह के सोमवार के दिन जो भी भक्त भगवान शिव की आराधना करते है उसकी सारी मनोकामना महादेव पूर्ण करते है। सावन सोमवार की पूजा कुंवारे कन्या और पुरूष को भी करना चाहिए। शादी या विवाह से जुड़ी किसी प्रकार की समस्या से जूझ रहे लोगों को सावन महीने में भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए। कहते हैं कि, यह वह पावन महीना होता है जिसमें भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसाते है और सच्चे मन से की गई भक्ति से खुश हो जाते है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, शिवजी की पूजा करने से शादी-विवाह से जुड़ी समस्या शीघ्र ही दूर हो जाती है। कई लोग विवाह में देरी हो या फिर वैवाहिक जीवन में किसी तरह की परेशानी चल रही हो तो आमतौर पर शिवजी की पूजा करते है। कुंवारी कन्याओं या पुरूषों के लिए शिवजी की पूजा करने का महत्व होता है। सावन में हरियाली तीज, कजरी तीज, हरतालिका तीज, 16 सोमवार व्रत, शिवरात्रि व्रत आदि जैसे कई व्रत-त्योहार भगवान शिवजी की पूजा के लिए समर्पित हैं। दरअसल इन व्रतों को कुंवारी कन्याएं शीघ्र विवाह और विवाहित स्त्रियां सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं।
बताया जाता है , शिवपूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते है और शुभ फल देते है। चलिए जानते है शिव पूजा करने का महत्व…
1- कहा जाता है, शादी-विवाह के लिए भगवान शिवजी की पूजा करने का महत्व होता है। मान्यता के अनुसार, शिव-पार्वती ऐसे देवी-देवता हैं, जो आदर्श दांपत्य के प्रतीक माने जाते हैं। वहीं पर शिव-पार्वती के विवाह को आदर्श विवाह के रूप में जानते है।
2- शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव को अर्धनारीश्वर रूप में भी पूजा जाता है, जोकि स्त्री-पुरुष के समरसता का प्रतीक है। यहां पर भगवान का यह रूप दर्शाता है कि शिव और शक्ति (पार्वती) एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। वहीं पर शिव का यह रूप वैवाहिक जीवन का गहरा संदेश भी देता है।
3- मान्यता के अनुसार, कहते हैं कि, पार्वती जी ने कठोर तप के बाद शिव को पति के रूप में पाया, जो सच्चे प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। कहते है कि, शिवजी की पूजा करने से सभी मनोकामना की पूर्ति होती है। विवाह संबंधी इच्छाओं के लिए शिव पूजन को शास्त्र-पुराणों में भी लाभकारी बताया गया है।
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4-इस व्रत में भगवान शिव और पार्वती की पूजा का विधान है, जिसे करने से कन्या को योग्य और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
5- कहते हैं कि, नारद पुराण, पद्म पुराण में शिव का उल्लेख उमामहेश्वर व्रत का भी उल्लेख मिलता है।