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अक्षय तृतीया से ही क्यों शुरू होती है चारधाम यात्रा, जानिए क्या है इसका आध्यात्मिक महत्व

अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है और इस दिन किसी भी काम की शुरुआत बहुत शुभ होती है। इसलिए इन दिन चारधाम यात्रा की शुरुआत भी होती है।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Apr 29, 2025 | 10:28 PM

चारधाम यात्रा(सौ.सोशल मीडिया)

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Akshaya Tritiya 2025: कल 30 अप्रैल यानी अक्षय तृतीया से विश्व प्रसिद्ध उत्तराखंड की चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है। बता दें, अक्षय तृतीया के दिन यमुनोत्री, गंगोत्री के कपाट खुल जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि अक्षय का अर्थ क्या है और इसी दिन से चारधाम यात्रा की शुरुआत क्यों होती है? आइए अक्षय तृतीय के आध्यात्मिक महत्व के बारे में भी जानते हैं-

अक्षय तृतीया पर ही क्यों शुरू होती है चारधाम यात्रा

सनातन धर्म में अक्षय तृतीया को युगादि पर्व कहा जाता है। बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, जिसे अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन दान, जप, तप और पूजा करने से अक्षय पुण्य फल मिलता है।

इस दिन किसी भी कार्य की शुरुआत करने को भी अति शुभ माना जाता है। इस तिथि पर कोई भी काम करने से सफल माना जाता है।

अक्षय के अर्थ पर बात करें तो सरल शब्दों में कह सकते हैं, जिसका क्षय न हो। इसलिए इस दिन लोग कभी क्षय न होने वाली धातु सोना को बढ़-चढ़कर खरीदते हैं। कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण की खरीदारी करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को संपन्नता और वैभव का आशीर्वाद देती हैं। भविष्य पुराण, नारद पुराण से लेकर कई पवित्र ग्रंथों में अक्षय तृतीया का उल्लेख मिलता है।

अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है और इस दिन किसी भी काम की शुरुआत बहुत शुभ होती है। इसलिए इन दिन चारधाम यात्रा की शुरुआत भी होती है। अक्षय तृतीया के दिन यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुल जाते है।

हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व है। चार धाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से होती है। इसके पीछे धार्मिक कारण है। चार धाम यात्रा का क्रम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ है।

यमुनोत्री और गंगोत्री के बाद दो मई को केदारनाथ और चार मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खुल जाते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यमुनोत्री से यात्रा शुरू करने पर चारधाम यात्रा में किसी भी प्रकार की रुकावट भक्तों को नहीं आती है।

यमुनोत्री, यमुना नदी का उद्गम स्थल है। यमुना जी यमराज की बहन हैं और उन्हें वरदान प्राप्त है कि वह अपने जल के माध्यम से सभी का दुख दूर करेंगी। मान्यता है कि जो श्रद्धालु यमुनोत्री में स्नान करता है, उसे मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है। इसी वजह से भक्त चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से करते हैं।

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चार धाम यात्रा का धार्मिक के साथ ही भौगोलिक महत्व भी है। चार धामों में यमुनोत्री पश्चिम दिशा में स्थित है। यात्रा पश्चिम से पूरब की ओर होती है। ऐसे में यह दिशा यात्रा के लिए उत्तम मानी जाती है, इससे यात्रा न केवल आसान बल्कि सुविधाजनक भी

Why does the char dham yatra start from akshaya tritiya

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Published On: Apr 29, 2025 | 10:28 PM

Topics:  

  • Akshaya Tritiya News
  • Chardham Yatra
  • Uttarakhand

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