गोवर्धन पूजा का महत्व (सौ.सोशल मीडिया)
Goverdhan Puja 2024: दिवाली सबसे बड़े त्योहार में से है एक है जहां पर हर 5 दिनों का अलग महत्व होता है। इसमें बड़ी दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस खास तरह की पूजा में भगवान गिरिराज की प्रतिमा बनाकर पूजा के नियम होते है। कहा जाता है कि, गोवर्धन पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और अनाज से हर किसी चीज की कोई कमी नहीं होती है। गोवर्धन पूजा से जुड़े वैसे तो कई नियम है लेकिन इसमें एक बेहद खास है। यहां पर एक नियम के अनुसार, भगवान गिरिराज की नाभि पर दिया रखा जाता है ऐसा क्यों होता है चलिए जानते है…
यहां पर ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने इस नियम को लेकर जानकारी दी है जिसके अनुसार बताया कि, जब इंद्र के अहंकार का दमन करने के लिए बाल कृष्ण ने अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब जिस जगह से उठाया था वह गिरिराज पर्वत का मध्य भाग था।इसी कारण से गोवर्धन पूजा के दिन गिरिराज जी की गोबर से बनी प्रतिमा की नाभि पर दीया रखा जाता है क्योंकि शरीर का मध्य भाग नाभि ही है। दीये के अलावा घी, तेल और शहद भी रखा जाता है।
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साथ ही यह भी कहा जाता है कि, भगवान श्रीकृष्ण जब एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाए हुए थे उस दौरान ब्रज वासियों ने जब देखा कि कान्हा की उंगली गोवर्धन उठाये-उठाये लाल हो रही है तब उन्होंने कान्हा की उंगली पर घी, मक्खन, शहद, तेल आदि चीजें लगाना शुरू कर दिया था।
कहा जाता है कि, ब्रज वासियों द्वारा जब यह सब कान्हा की उंगली पर लगाया जा रहा था तब ये सारी चीजें गोवर्धन भगवान के मध्य भाग पर भी लग रही थीं। इस वजह से यह नियम एक परंपरा के रूप में अब हर गोवर्धन पूजा में किया जाता है। इस दिन कहा जाता है कि, अगर आप पूजा के दौरान भगवान गिरिराज को नाभि पर तेल, घी, शहद लगाने या दीया रखने का नियम करते हैं तो, कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है और सुख-समृद्धि एवं संपन्नता का वास बना रहेता है।