भगवान विष्णु के तीसरे अवतार हैं वराह जयंती (सौ.सोशल मीडिया)
Varaha Jayanti 2025: जगत के संचालनकर्ता भगवान विष्णु का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के 10 अवतार का जिक्र है। इन्हीं में से एक है वराह अवतार। जिन्हें ‘वराह जयंती’के नाम से जाना जाता है। यह जयंती भगवान विष्णु के तीसरे अवतार के जन्मोत्सव में हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष वराह जयंती सोमवार 25 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने वराह अवतार धारण किया था और राक्षस हिरण्याक्ष का वध किया था। हिंदू देवता भगवान विष्णु के दस अवतारों को सामूहिक रूप से दशावतार कहा जाता है। इनमें से तीसरे अवतार को वराह कहा जाता है, जो भगवान विष्णु का वराह अवतार है।
मत्स्य और कश्यप के बाद, वराह भगवान विष्णु के तीसरे अवतार हैं। वराह का शाब्दिक अर्थ है ‘सूअर’।इस अवसर पर, भक्त भगवान विष्णु की विशेष पूजा, व्रत और तपस्या करके सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। विष्णु मंदिरों में भजन-कीर्तन भी किए जाते हैं। ऐसे में आइए कब मनायी जायेगी वराह जयंती 2025, शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बाते –
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार वराह जयंती 2025 की तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर 12.35 बजे शुरू होगी और 26 अगस्त को दोपहर 1.54 बजे समाप्त होगी। पूजा का सबसे शुभ समय दोपहर 1.40 बजे से शाम 4.15 बजे तक रहेगा। इसी कालखंड में भगवान विष्णु के वराह रूप की उपासना करना विशेष फलदायी माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार, वराह जयंती भक्तों को सबसे पहले प्रातः स्नान करके भगवान वराह की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए। पीले चंदन से तिलक करें और आरती करते समय चावल, फूल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें। पूजा के बाद, इस अवतार की कथा सुनाएँ। इसके बाद, भगवान वराह के मंत्र “नमो भगवते वराहरूपाय भूर्भुवः स्वः स्यात् पते भूपतित्वं देहयेत ददापय स्वाहा” का जाप करें।
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बताया जाता है कि, वराह जयंती केवल एक उत्सव नहीं बल्कि यह हमें याद दिलाती है कि जब भी धरती पर संकट आया है तब भगवान विष्णु ने किसी न किसी रूप में प्रकट होकर संतुलन स्थापित किया है।
इस दिन व्रत और पूजा करने से पाप नष्ट होते हैं। मनुष्य को सुख-समृद्धि. संतान सुख और भय से मुक्ति प्राप्त होती है।
शास्त्रों में कहा गया है कि वराह जयंती का व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला और धरती के कल्याण हेतु सबसे श्रेष्ठ माना गया है।