साल की आखिरी कालाष्टमी व्रत,(सौ.सोशल मीडिया)
Kalashtami December 2024: देवों के देव महादेव के रौद्र रूप काल भैरव देव को समर्पित कालाष्टमी का व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस बार साल की आखिरी कालाष्टमी 22 दिसंबर रविवार को मनाई जाएगी।
धार्मिक मत है कि काल भैरव देव की पूजा-उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी प्रकार के दुख और संकट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि पौष मासिक कालाष्टमी कब है? मासिक कालाष्टमी पूजा मुहूर्त और पूजा विधि हैं?
कब है साल की आखिरी कालाष्टमी व्रत
पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी 22 दिसंबर को मनाई जाएगी। इसकी तिथि 22 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी। वहीं 23 दिसंबर को शाम 5 बजकर 7 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। कालाष्टमी के दिन शाम के समय काल भैरव देव की पूजा होती है। पौष माह की कालाष्टमी पर आयुष्मान और सौभाग्य योग भी बन रहा है।
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कालष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त
आयुष्मान योग 22 दिसंबर को शाम के सात बजे तक रहेगा। इसके बाद सौभाग्य योग बनेगा। इन दोनों योगों के अलावा त्रिपुष्कर कालाष्टमी योग भी बनेगा। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 21 मिनट से शुरू होगा।
ये 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर के समय 2 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा। ये 3 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम के समय 5 बजकर 27 मिनट से होगा। ये 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। निशिता मुहूर्त रात के समय 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होगा। ये 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि
कालाष्टमी पर बह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान को प्रणाम करना चाहिए।
इसके बाद स्नान कर भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।
इसके बाद विधि पूर्वक भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए।
भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए।
पूजा के समय भगवान शिव को सफेद फल, फूल और मिठाई चढ़ानी चाहिए।
पूजा के समय ही काल भैरव देव की चालीसा करनी चाहिए। पूजा के अंत में आरती करनी चाहिए।
कालाष्टमी व्रत के नियमों का करें पालन
घर और मंदिर को साफ करके गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।
मांसाहारी भोजन और शराब नहीं पीनी चाहिए।
झूठ बोलने से बचना चाहिए। किसी को अपमानित नहीं करना चाहिए।
नुकीली चीजों के उपयोग से बचना चाहिए। अंहकार को मन में नहीं लाना चाहिए।