रोहिणी व्रत (सौ.सोशल मीडिया)
रोहिणी व्रत जैन धर्म में विशेष महत्व रखता है। रोहिणी व्रत जैन धर्म का प्रमुख पर्व है। जो हर महीने पड़ता है। इस तरह से साल में कुल 12 रोहिणी व्रत पड़ते हैं। इस बार जून यानी आषाढ़ महीने की ‘रोहिणी व्रत’ 24 जून, मंगलवार के दिन पड़ रहा है।
यह पर्व भगवान वासुपूज्य स्वामी को समर्पित होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रख भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा करती हैं।
धार्मिक मत है कि रोहिणी व्रत पर भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा करने से व्रती के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही मनचाहा वरदान भी मिलता है। इसके अलावा, घर में सुख, समृद्धि एवं शांति बनी रहती है। लेकिन क्या आपको पता है कि आषाढ़ महीने में रोहिणी व्रत कब मनाया जाएगा? आइए, रोहिणी व्रत की सही डेट और योग जानते हैं-
आपको बता दें, रोहिणी व्रत हर महीने पड़ता है क्योंकि यह रोहिणी नक्षत्र के उदय होने पर आधारित होता है, लेकी जून यानी कि आषाढ़ माह में पड़ने वाला रोहिणी व्रत बहुत खास माना जाता है। 2025 में जून महीने का रोहिणी व्रत 24 जून यानी कि मंगलवार के दिन पड़ रहा है।
इस दिन रोहिणी नक्षत्र पूरे दिन रहेगा, इसलिए व्रत इसी दिन किया जाएगा। व्रत का आरंभ रोहिणी नक्षत्र के उदय होने के साथ होगा और इसका समापन अगले नक्षत्र यानी मार्गशीर्ष नक्षत्र के उदय होने पर होगा।
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रोहिणी व्रत के दिन 24 जून को रोहिणी नक्षत्र दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। ऐसे में स्नान या दान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 4:04 बजे से सुबह 4:44 बजे तक है जो ब्रह्म मुहूर्त का समय है।
इसके अलावा, पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:33 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक। इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करना इस दिन शुभ सिद्ध होगा। वहीं, अमृत काल सुबह 10:01 बजे से 11:27 बजे तक है और इस मुहूर्त में शुभ काम की शुरुआत लाभकारी होगी।
रोहिणी व्रत के दिन विजय मुहूर्त दोपहर 2:18 बजे से 3:12 बजे तक है। इस दौरान किये गए शुभ कामों में आपको विजय मिल सकती है। अगर आप अभिजीत मुहूर्त में पूजा न कर पाएं तो शाम के लिए भी पूजा का समय गोधुली मुहूर्त में है जो शाम 6:51 बजे से 7:11 बजे तक है।
इस मुहूर्त में चंद्रमा की पूजा करना शुभ होगा। चंद्रमा के मंत्रों के जाप के साथ ही, चंद्रमा को अर्घ्य देकर रोहिणी सकट भेदन स्तोत्र का जाप करने से मानसिक शांति की प्राप्ति हो सकती है।
रोहिणी व्रत जैन समुदाय के लिए बहुत ही महत्व रखता है। ये व्रत लगातार तीन, पांच या सात साल तक अवश्य किया जाता है। इस व्रत को महिलाएं और पुरुष दोनों ही रख सकते हैं। महिलाएं रोहिणी व्रत अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए रखती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी व्रत रखने से आत्मा के विकार दूर होते हैं। माना जाता है कि जो श्रद्धापूर्वक रोहिणी व्रत रखते हैं उनके सभी प्रकार के दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है। घर में माता लक्ष्मी का आगमन होता। साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।