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आज है अहोई अष्टमी, संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए करें विधिवत व्रत, ज़रूर पढ़ें यह कथा

Ahoi Ashtami Katha: संतान के उज्ज्वल भविष्य और दीर्घायु के लिए आज अहोई अष्टमी का व्रत रखा जा रहा है। कहा जाता है कि अहोई माता की पूजा बिना व्रत कथा और आरती के पूरी नहीं मानी जाती है। यहां पढ़िए कथा

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Oct 13, 2025 | 11:57 AM

जानिए क्या है अहोई अष्टमी की कथा (सौ.सोशल मीडिया)

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Ahoi Ashtami Ki Kahani: आज सोमवार 13 अक्टूबर 2025 को पूरे उत्तर भारत में अहोई अष्टमी का व्रत रखा जा रहा है। जैसा कि आप जानते है कि यह व्रत हिन्दू माताएं अपने संतान की लंबी आयु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखती है।

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन अहोई माता की विधिवत पूजा की जाती है। कहा जाता है कि, माता की पूजा बिना व्रत कथा और आरती के पूरी नहीं मानी जाती है। इस दिन पूजा के समय व्रत कथा पढ़ने से माता से संतान की रक्षा का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में यहां पढ़िए अहोई माता की कथा-

जानिए क्या है अहोई अष्टमी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, किसी समय की बात है कि एक साहूकार था। उसके साथ सात पुत्र एक पुत्री थी। सभी पुत्रियों का विवाह हो चुका था। एक बार दिवाली से कुछ दिन पहले साहूकार की पुत्री का अपने मायके आना हुआ था।

उस समय उसकी भाभियां घर लीपने के लिए मिट्टी लेने जंगल जाने लगीं तो वो भी उनके साथ चली गई। साहूकार की बेटी जिस स्थान से मिट्टी की कटाई कर रही थी, वहां स्याहू यानी साही अपने सात बेटों के साथ रहती थी।

इस दौरान साहूकार की बेटी की खुरपी की चोट अनजाने में स्याहू के बेटे को लग गई और उसकी मौत हो गई। इसके बाद क्रोधित स्याहू ने साहूकार की बेटी की कोख बांधने की बात कही। इस भय से साहूकार की बेटी रोने लगी और उसने अपनी भाभियों से कोख बंधवा लेने की विनती की, लेकिन सभी ने मना कर दिया।

हालांकि उसकी छोटी भाभी अपने ननद की बात मान गई। इसके बाद छोटी भाभी की संतान पैदा होने के सात दिन बाद मर जाती थी। स्याहू के श्राप के कारण ऐसा हो रहा था।

बस्तय जाता है इस तरह उसकी सात संतानों की मृत्यु हो गई। आखिरकार उसने पंडित जी से इसका उपाय पूछा, तब उन्होंने उसको सुरही गाय की सेवा करने की बात बताई। फिर उसने मन लगाकर सुरही गाय की सेवा की।

इसे भी पढ़ें-आज है अहोई अष्टमी व्रत, जानिए पूजा मुहूर्त, विधि और तारों को अर्घ्य देने का समय   

छोटी बहू की सेवा से खुश होकर एक दिन सुरही गाय उसको स्याहू के पास ले गई। इसके बाद छोटी बहू ने स्याहू की सेवा की।

स्याहू उसकी सेवा से प्रसन्न हुई और उसको सात पुत्र और बहू होने का आशीर्वाद दिया, तभी से कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर स्याहू का चित्र बनाकर उनकी पूजा की जाती है। इसे अहोई आठे भी कहा जाता है।

अहोई माता को देवी पार्वती का ही स्वरूप माना जाता है, जो संतानों की रक्षा करती हैं, इसलिए अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु, सुख और समृद्धि के लिए अहोई माता का व्रत और विविवत पूजा करती हैं।

What is the story of ahoi ashtami

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Published On: Oct 13, 2025 | 11:57 AM

Topics:  

  • Ahoi Ashtami
  • Ahoi Ashtami Muhurat
  • Religion

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