
एकादशी व्रत के नियम
Ekadashi Vrat Niyam: भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत हिंदू श्रद्धालुओं के लिए बड़ा महत्व है। शास्त्र के अनुसार, इस व्रत को करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ऐसे में एकादशी व्रत के लिए कुछ जरूरी नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है। इसके बिना व्रत को पूरा नहीं माना जाता है, इसलिए यदि आप एकादशी व्रत की शुरुआत करने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसके लिए आपको शुभ दिन और नियमों के बारे में पता होना चाहिए है।
एकादशी व्रत कब शुरू करें?
एकादशी व्रत शुरू करने का सबसे उत्तम दिन मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे उत्पन्ना एकादशी कहते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी को ही देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए एकादशी व्रत प्रारंभ करने के लिए यह दिन सबसे अच्छा माना जाता है। कथा के अनुसार, मुर राक्षस का वध करने के लिए देवी एकादशी प्रकट हुई थीं।
नवंबर में मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी का व्रत 26 नवंबर 2024 को रखा जाएगा। वहीं 27 नवंबर को व्रत का पारण किया जाएगा, जिसका समय दोपहर 01:12 बजे से 03:18 बजे तक रहेगा।
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जानिए एकादशी व्रत के क्या है नियम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व और एक दिन बाद तक सात्विक भोजन करें। इस दौरान तामसिक वस्तुओं का सेवन न करें।
एकादशी व्रत में मसूर दाल, चावल, बैंगन, गाजर, शलगम, पालक, गोभी आदि का सेवन वर्जित है।
एकादशी व्रत में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना जरूरी होता है। किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहना चाहिए।
एकादशी व्रत के दिन ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें और पूजा के समय एकादशी व्रत कथा पढ़ें।
एकादशी व्रत की पूजा के समय भगवान विष्णु को पंचामृत, तुलसी के पत्ते अर्पित करें और मौसमी फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
इस दौरान विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए और अंतिम में विष्णु जी की आरती करें।
एकादशी व्रत पारण के दिन स्नान के बाद अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र, फल आदि का दान करना चाहिए।
एकादशी व्रत करने वाले को असत्य, कटु वचन, काम, क्रोध और लोभ आदि से दूर रहना चाहिए।






