
आखिर क्यों मनाया जाता है वीर बाल दिवस? (सौ.सोशल मीडिया)
Veer Bal Diwas Significance: हर साल 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ मनाया जाता है। यह दिन सिखों के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहसी पुत्रों—साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह—की अद्भुत वीरता, बलिदान और धर्म के प्रति अटूट आस्था को समर्पित है।
गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों ने बहुत कम उम्र में धर्म, सच्चाई और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। उनका साहस आज भी देश को प्रेरणा देता है। आइए जानते हैं क्या है वीर बाल दिवस, क्या रहा है इसका इतिहास और इसका महत्व क्या है?
मुगल शासनकाल के दौरान पंजाब में धार्मिक उत्पीड़न अपने चरम पर था। ऐसे समय में 1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़े होना तथा सिख समुदाय की रक्षा करना था।
खालसा पंथ का हिस्सा थे और उन्होंने बहुत कम उम्र में अद्भुत वीरता का परिचय दिया। बड़े साहिबजादे अजीत सिंह और जुझार सिंह ने युद्धभूमि में वीरगति पाई, जबकि छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को मुगल सेना ने सरसा नदी के तट के पास पकड़ लिया।
मुगल शासकों ने उनसे धर्म परिवर्तन का दबाव डाला, लेकिन दोनों बाल साहिबजादों ने अपनी आस्था से समझौता करने से इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप, अत्याचारपूर्ण दंड दिया गया। उनकी शहादत भारतीय इतिहास के सबसे हृदयविदारक और प्रेरणादायक प्रसंगों में गिनी जाती है।
वीर बाल दिवस केवल एक स्मृति दिवस नहीं, बल्कि साहस, नैतिकता और आत्मसम्मान की सीख देने वाला दिन है।
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यह दिन हमें सिखाता है कि—
वीर बाल दिवस उन चार साहिबजादों की अमर गाथा को नमन करने का अवसर है, जिन्होंने अपने धर्म और मूल्यों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों को सदैव निडर, सत्यनिष्ठ और आत्मसम्मानी बनने की प्रेरणा देता रहेगा।






