(सौजन्य सोशल मीडिया)
सनातन धर्म में देवी-देवताओं का संबंध किसी न किसी पेड़-पौधे से होता है। भगवान की पूजा के साथ कुछ पेड़-पौधों की पूजा अर्चना करने का भी विधान है, जिससे जातक को विशेष लाभ मिलता है। मान्यता है कि, ऐसा करने से जातक की सभी मुरादें पूरी होती हैं और जीवन खुशहाल रहता है।
पूजा के दौरान पेड़-पौधों पर कलावा बांधने की परंपरा भी प्राचीन समय से चली आ रही है। तो आइये जान लें कि वह कौन-कौन से पेड़ हैं जिसमें कलावा बांधने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मान्यता है कि बरगद के पेड़ में भगवान विष्णु, देवों के देव महादेव और ब्रह्मा जी का वास होता है। इसलिए इस पेड़ की पूजा-अर्चना करने का विधान है। वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं और कलावा बांधती हैं। ऐसा माना जाता है कि बरगद के पेड़ पर कलावा बांधने से अकाल मृत्यु के योग से मुक्ति मिलती है और पति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है।
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को पूजनीय माना गया है। ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, पूजा के दौरान इस पौधे पर कलावा बांधने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साधकों को जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
धार्मिक मत है कि पीपल के पेड़ में जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि का निवास होता है। इसलिये पीपल की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से साधक के सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यदि आपको करियर में तरक्की नहीं मिल रही है, तो ऐसे में पीपल के पेड़ की उपासना करें और कलावा बांधें। माना जाता है कि इस उपाय को करने से जातक को धन की प्राप्ति होती है और करियर में सफलता मिलती है।
सनातन धर्म में शमी के पेड़ का अत्यधिक महत्व है। शमी का पेड़ भगवान शिव और न्याय के देवता शनिदेव को प्रिय है। विधि-विधान पूर्वक इस पेड़ की पूजन करने से शनिदेव और भगवान शिव प्रसन्न होते है। यह भी माना जाता है कि शमी के पेड़ में कलावा बांधने पर भगवान शंकर एवं शनि देव की कृपा जातक को प्राप्त होती है। साथ ही कुंडली में राहु केतु शांत होते है। इसलिए शमी के पेड़ की पूजा कर उसमें कलावा जरूर बांधना चाहिए ।
लेखिका- सीमा कुमारी