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आज है मार्गशीर्ष पूर्णिमा, पूजा में अवश्य पढ़ें यह व्रत कथा, कर्ज से मिलेगी मुक्ति

Margashirsha Purnima Vrat:आज साल की आखिरी मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनाई जा रही है। ऐसे में अगर आप भी इस पूर्णिमा में व्रत रखने के बारे में सोच रही हैं, तो पूजा करते हुए कथा पढ़ना न भूलें।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Dec 04, 2025 | 02:20 PM

ये है मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा (सौ.सोशल मीडिया)

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Margshirsha Purnima Katha: आज 4 दिसंबर को मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा मनाई जा रही हैं। धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से यह शुभ एवं पावन तिथि बेहद खास माना जा रहा हैं। इस दिन भगवान विष्णु, चंद्र देव और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती हैं। गुरुवार के दिन पड़ने के कारण यह सत्यनारायण भगवान की कृपा प्राप्ति का एक शुभ भी अवसर हैं।

कहते है अन्य व्रतों की तरह, इस व्रत में भी कथा पढ़ना अत्यंत आवश्यक माना गया है। यदि आप इस पूर्णिमा को व्रत रख रहे हैं, तो यह कथा अवश्य पढ़ें, क्योंकि इससे आपके जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है।

ये है मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा

यह कथा भगवान विष्णु और नारद मुनि के बीच संवाद से शुरू होती है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नारद मुनि ने मृत्यु लोक में मनुष्य को दुखी और पीड़ित देखकर भगवान विष्णु से इसका उपाय पूछा।

भगवान विष्णु ने उन्हें सत्यनारायण व्रत का महात्म्य बताया, जो सभी कष्टों को दूर करता है और मनोवांछित फल प्रदान करता है।

भगवान विष्णु ने नारद मुनि को सत्यनारायण व्रत की पूरी विधि बताई, जिसमें भक्ति और श्रद्धा से पूजन करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना शामिल है। यह कथा सुनने के बाद नारद मुनि ने पृथ्वी पर आकर लोगों को सत्यनारायण व्रत की महिमा बताई, ताकि वे अपने दुखों से मुक्त हो सकें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा महर्षि अत्रि और माता से भी जुड़ा

यह कथा महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी माता अनुसूया से भी जुड़ा है, जो अपनी तपस्या और सतीत्व के लिए प्रसिद्ध थे। एक दिन त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) उनकी परीक्षा लेने के लिए भिक्षुओं के रूप में उनके आश्रम में पहुंचे और उन्होंने अनुसूया से निर्वस्त्र होकर भोजन कराने की शर्त रखी।

यह भी पढ़ें-साल की आखिरी पूर्णिमा आज, इस दिन घर में भूलकर भी न करें ये 5 काम,वरना माता लक्ष्मी हो जाएंगी नाराज

माता अनुसूया ने पहचान लिया कि वे त्रिदेव हैं, जिसके बाद उन्होंने अपने सतीत्व और तपबल से तीनों देवताओं को छोटे बच्चों में बदल दिया और उन्हें निर्वस्त्र होकर भोजन कराया। माता अनुसूया के इस कार्य से प्रसन्न होकर त्रिदेवों ने उन्हें वरदान दिया और उनके यहां एक पुत्र के रूप में जन्म लिया, जो बाद में भगवान दत्तात्रेय के रूप में जाने गए। इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान दत्तात्रेय की पूजा होती है।

Today is margashirsha purnima read this fasting story during the puja

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Published On: Dec 04, 2025 | 02:20 PM

Topics:  

  • Lord Vishnu
  • Purnima
  • Religion

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