
गंगा सप्तमी (सौ.सोशल मीडिया
Ganga Saptami 2025: आज 03 मई को गंगा सप्तमी मनाई जा रही है। मां गंगा को समर्पित गंगा सप्तमी का पावन पर्व सनातन धर्म में बड़ा महत्व रखता है। यह पर्व हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इसे ‘गंगा जयंती’ के नाम से भी जाना जाता है। गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की विशेष रूप से पूजा का विधान है। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में लोग गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं।
इसके बाद देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने के साथ ही महादेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। बता दें इस बार गंगा सप्तमी पर कुछ विशेष और दुर्लभ संयोग भी बन रहे हैं। जिसके कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 03 मई को सुबह 07 बजकर 51 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 04 मई को सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान होने के चलते 03 मई को गंगा सप्तमी मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान हेतु मुहूर्त सुबह 10 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है।
गंगा सप्तमी पर बन रहे हैं ये शुभ योग
ज्योतिषयों के अनुसार, गंगा सप्तमी के दिन दुर्लभ त्रिपुष्कर योग बन रहा है और इसके साथ ही रवि योग और शिववास योग भी बन रहे हैं। बता दें, इसके अलावा पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र संयोग बन रहा है।
ऐसी मान्यता है कि इस योग में स्नान दान और महादेव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को धरती पर ही स्वर्ग के समान सुखों की प्राप्ति होती है।
स्नान करने के बाद दान-पुण्य भी करें
गंगा सप्तमी पर स्नान का विशेष महत्व है। अगर आप प्रयागराज, हरिद्वार, ऋषिकेश या वाराणसी जैसे पवित्र तीर्थों में हैं, तो गंगा में डुबकी जरूर लगाएं। अगर गंगा तक पहुंचना संभव नहीं हो, तो घर में स्नान करते समय जल में कुछ बूंदें गंगाजल की मिला लें। हालांकि, कहा जाता है कि भावनाओं की पवित्रता ही सबसे बड़ा तप है। स्नान के बाद तिल, वस्त्र, अन्न, दक्षिणा आदि का दान करने से पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है।
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दीपकों से की जाती है मां गंगा की आरती
गंगा सप्तमी पर गंगा घाटों पर एक अलग ही उल्लास देखने को मिलता है। हजारों दीपों से सजी गंगा आरती, मंत्रोच्चारण और शंख ध्वनि से गूंजते घाट। सब मिलकर एक ऐसा अनुभव रचते हैं, जो आत्मा तक को झकझोर देता है। भक्तजन इस दिन मां गंगा की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और विशेष मंत्रों का जाप करते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सच्चा मोक्ष केवल गंगा में डुबकी से नहीं, बल्कि अपने कर्मों को पवित्र करने से मिलता है।






