पौष माह के दौरान इन कामों करने की मनाही (सौ.सोशल मीडिया)
Paush Maas kab Hai 2025 Date: शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 से पौष मास की शुरुआत हो रही है। धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से पौष का महीना सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह महीना सूर्य देव की उपासना, पितृ तर्पण, दान-पुण्य और उपवास आदि के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि, इस महीने में सूर्य देव की उपासना, पितृ तर्पण, दान-पुण्य और उपवास आदि करने से व्यक्ति को ऐश्वर्य, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौष माह में खरमास लगने के कारण, इस पूरे महीने मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, यदि इस दौरान कोई शुभ कार्य किया जाता है, तो उसका शुभ फल नहीं मिलता है और वह कार्य सफल नहीं होता है।
जैसे -इस दौरान विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, जनेऊ संस्कार, नए व्यवसाय की शुरुआत. तामसिक भोजन का सेवन न करें।
धार्मिक ग्रंथों में पौष माह को तपस्या और सात्विकता का महीना बताया गया है इस दौरान आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
मांस, मदिरा (शराब) और किसी भी प्रकार के नशे का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। तामसिक भोजन जैसे- लहसुन, प्याज से दूरी बनाए रखें। इससे आपका मन अशांत होता है और पूजा-पाठ में बाधा आती है।
पौष माह में सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व होता है इस माह में अन्न दान करना बेहद शुभ माना गया है। इस माह में ज़रूरतमंदों को अन्न, चावल, गेहूं का दान जरूर करना चाहिए।
मान्यता है कि इस महीने वाणी पर संयम रखना चाहिए। किसी का अपमान करना, कटु वचन बोलना, या किसी को ठेस पहुंचाना महापाप माना जाता है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको सूर्य देव का प्रकोप झेलना पड़ सकता है, जिससे आपके मान-सम्मान और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
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यह समय सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए अत्यंत उपयुक्त है। साधना, ध्यान और जप-तप का फल सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक मिलता है स्वास्थ्य, ऊर्जा और मानसिक स्थिरता बढ़ाने वाले उपाय इस माह में सर्वोत्तम फल देते हैं। धन, करियर और सुख-संपत्ति से जुड़े कार्य इस अवधि में सकारात्मक परिणाम देते हैं। घर-परिवार में शांति और सौहार्द्र बढ़ाने वाला समय माना जाता है।